Category: बैद्यनाथ ‘सारथी’
दोस्त कोई, न मेह्रबाँ कोई काश मिल जाए, राज़दाँ कोई !! दिल की हालत, कुछ आज ऐसी है जैसे लूट जाए, कारवाँ कोई !! एक ही बार, इश्क़ होता …
चल आज दिल फिर प्यार से, उस नाज़नी को याद कर !! वही गेसुओं की छांव को, उसी ताजगी को याद कर !! रख फिर गुलाब खतुत में, तरकीब …
तमन्ना जाग उठती है, तेरे कूचे में आने से तेरे चिलमन हटाने से, जरा सा मुस्कुराने से !! अजब ही दौर था जालिम, ग़ज़ल की नब्ज़ चलती थी मेरी …