Category: अतुल कनक
आज माता-पिता की शादी की सत्तावनवीं वर्षगाँठ थी और मैं बचता रहा माँ को बधाई देने से बधाई देना तो दूर की बात है आज उल्लास की कोई बात …
पत्नी की तबियत ठीक नहीं थी और रात भर कराही थी वह मुझे अच्छी नहीं लगी थी उसके कराहने की आवाज़ कि एक प्रेमगीत लिखते हुए बार-बार भंग हो …
(1) उस का प्रेम ही तो है जो हौंसला देता है शेर का भी चुबन ले लेने के लिये/ नहीं तो कितनी सी देर लगती है आत्मीय मर्द को …
बारणां में खिल्याया छै घणकरा गुलाब/ राता- धौळा- पैळा एक एक डाळ पे तीन तीन कोय पे तो ईं सूँ भी बद’र……. म्हूँ खाद पटकूँ छूँ क्यारी में हाथाँ …
पौसाळ जाती बेटी का हाथाँ में, नतके सौंपूँ छूँ एक पुसप गुलाब को/ सिखाबो चाहूँ छूँ अष्याँ के धसूळाँ के बीचे र्है’र भी कष्याँ मुळक्यो जा सकै छै, अर …
(1) ऊँ को हेत छै जे हौंसलो द्ये छै नाहर के ताँई भी चूम लेबा को न्हँ तो कांई जेज लागे छै मनख्यावड़ा मरद ईं भी मनखखोर होबा में? …