Category: अश्विनी भँवरायत
—- आनन—— आहत सा मन मेरा नय़नों से ताक रहा । उम्मीदो की किरणों सा दिल मेरा झॉंक रहा ।। तरंगित सा मनांचल सुषुप्तमय अभिलाषा । शुष्कता लबों पर …
कलयुगी जमीं पे जन्मीं अतिरिक्त बोझ सी भारी हूँ पुरूष प्रधान समाज की शापित पापमय नारी हूँ जंजीरे बाँधी अपनों ने बचपन मेरा अलसाया हरितमय उपवन में कहीं खिला …
वो सर्द हवा की सनसनाहट ठिठुर रहा तन प्रभात का जागने का मानस नहीं लालिमा में हरे पात का दुग्ध- धवल सा हिमालय छिपा कोहरे में दूर कही नयनो …
अँधेरी राहों पर ले दीपक , बचपन खोजने निकला हूँ उठ -२ कर गिरता रहा हमेशा ,गीले कदमों से फिसला हूँ गोद में रोता रहा रातभर ,माँ की ममता …
अँधेरी राहों पर ले दीपक , बचपन खोजने निकला हूँ उठ -२ कर गिरता रहा हमेशा ,गीले कदमों से फिसला हूँ गोद में रोता रहा रातभर ,माँ की ममता …