Category: अंशुल पोरवाल
अँधेरा तेरे दिल में हैं अँधेरा मेरे दिल में हैं , घरो में इन रोशनियों का तू बता क्या हैं फायदा अपने तेरे इधर भी हैं अपने मेरे उधर …
दांस्ता ऐ तिरंगा दस्तक दी दरवाजे पर एक शाम मेरे तिरंगे ने मुझ मनमौजी को आवाज दी उस तिरंगे ने निकलते आँसुओ से अपनी पहचान दी तिरंगे ने सुनाई …
एक रात मेरे सपने में मिटटी का दीपक आया और उसकी मन की दांस्ता मैं मनमौजी आपके सामने रख रहा हूँ दिल पर लगे तो आप का आशिर्वाद चाहता …
आँखों में आंसू मेरे भी थे और आँखों में आंसू उसके भी थे फर्क सिर्फ ये था ,मुझे चोट लगी थी पत्थर से ,वो पत्थर दिल से चोटिल था …
खून बहा था सत्तावन में वो आजादी के दीवाने थे ना हिन्दू थे ना मुस्लिम थे वो भारत माँ के परवाने थे फिर क्यू आजाद भारत में अब लहू …
तपन के इस दुर्भिश में , वो अमृत की तरह छलकती रही । निभा कर साथ हवा का वो, निश्छल पथ से बहकती रही । ले आगोश में उस …