Category: अनमोल तिवारी
?दिव्य आलोक ? दिव्य आलोक मय ये सुनहली रश्मियाँ प्रभात की शुभ वेला में प्रस्फुटित होते पल्लवों पर जगा रही हैं प्रत्युष मनोहर खिल रहे हैं पुष्प चहुँऔर हो …
दुआ मन ………… जिसे बस हर वक्त रहती हैं तलाश ख़ुशियों की। ए काश कि _______ मिल जाए ख़ुशियाँ हर चाहने वालो को । खिल जाए चेहरे हर उदास …
बहुत करते थे ना तुम मुझको भर बाँहो में प्यार और खूब लाते थे तुम मेरे लिए उपहार था बहुत गुमां तुम्हें मेरे प्यारे हुस्न पर तो फिर अब …
है तमन्ना मेरी ऐसी___ कि, मंद- मंद पुरवाई में प्रीत के झोंके हो दिलों में गुजारू एक रात सुहानी श्वेत रेतीले टीलों में।। हो चमक चाँदी सी जब रेतीले …
??तो खिले चमन?? तर्ज-करवटे बदलतै रहे सारी रात हम दो कदम मिल के चले, सरहदो पे हम । तो खिले चमन तो खिले चमन। तेरी नादानियों को, भूला पाये …
सिंहासन पर बैठ गए तुम, भारत की पहचान नहीं। रोती हैं कश्मीर की घाटी, जन-गण-मन का गान नहीं।। फूलों की घाटी में जहाँ , वास देवता करते थे। विघ्न …
तिरंगा हैं शिखर पे, जयगान हो रहा हैं। आज मुझको वीरों पे, अभिमान हो रहा हैं।। केसरिया जिसका कण-कण, वीरों की शहादत हैं। हे रंग इसका उजला, शांति की …
मैने देखा टी•वी• पर जब, देश के शहीद को तो, एक बात जेहन में चुभ सी गई हैं। अरमानों की उठी अर्थी, वीरों से भरी ये धरती, कैसे आज …
कभी तो बहार बनकर मेरा मन बहलाओगे, कभी तो झोंका बन मेरा तन सहलाओगे। सदके में तुम्हारे क़दमों को चुम लेंगे हम, कभी तो अपना समझ सीने से लगाओगे।। …
ऐसा है मेरा झण्डा, जो गीत ख़ुशी के गाए। भारत के तिरंगे को , कोई ना झुका पाए।। ये शान है हमारी, वीरों का बलिदान हैं। ये देश का …
चाणक्य गीतिका:-भाग-1(मातृ वंदना) कवि;-अनमोल तिवारी ****श्री***** सौम्य शिखर हिम अतुल जहा, उत्तर की पवनें ठंडी हैं। परचम अपना फहराती वो, भारत भूमि अखंडी हैं।। पारावार जो अपार जल से, …
Anmol Tiwari कविता==माँ मेरे तन्हाई के आलम मैं भी, एक ख़ुशी दे जाती हैं माँ। एक दृष्टि मेरी और डाल, जाने क्या कर जाती हैं माँ।। क्या जादू है …
आएँ वो इस बार कही से, लेकर प्यार का तोहफ़ा। झूम उठा मन लाली छाई, स्नेह मिलन का मौका।। आएँ कुछ आँसू आँखों से, नहीं यह कोई धोका। आएँ …
सरहद बुला रही हैं , मेरी कोख के ओ लाल। रखना सदा ही दिल में , अपने देश का तू ख्याल ।। तू जन्मा मेरी कोख से, ये मुझको …
मेरे दिल ने भी दुआ की थी उसके लिए। जिसने छोड़ दिया मुझे जमाने के लिए।। नशा अभी उतरा भी नहीं उसके प्यार का कि पीना पड़ा जाम उसे …
पत्र तुम्हारा मिल गया कोरा। देख कर पढ़ा मैनें और चूमा उसे। कलेजे से लगाकर रख दिया।। अनकही थी जो बातें वो सब खुल गई। कालिमा मन में भरी …
युगों-युगों से इस पावन धरा का, लौहा जग में माना जाता हैं। इंसानी जिस्म बना फौलाद, ये त्याग दधिची से जाना जाता हैं।। अवनी से अम्बर तक बस, यहीं …
मेवाड के उन वीरों की, हस्ती अभी भी बाकी हैं। फिर से जन्मेगा प्रताप, ये उम्मीद अभी भी बाकी हैं।। मान बढाया जग मे जिसने, उन वीरों की क्या …
पर्वत के उस पार से नीड मे लौटते पंछी डैनों को फैलाकर कुशलक्षेम पुँछते दिन भर के थके हारे पर अहा! नहीं मिलता आराम।। जहाँ बनाया था आशियाँ बैखौफ …
ना आएँ कभी गर्दिशों के सदके जिन्दगानी मे उनके। मेरे मालिक की यह रहम इफ्तदा हो जाए हर रोज़ करते हैं”अनमोल” इल्तिजा जिनके लिए उस महकते गुलशन पे रब …