Category: अंकित पुलकित ‘असरार’
पैसों की बचत करता है परिवार का ध्यान रखता है ऑफिस में दूसरों से काम करवाता है घर आकर खुद बीवी का काम करता है बीवी से दूर भागता …
हो गया मेरे देश का जल दुषित। अब इस पावन धरा का हाल क्या होगा | पहले लूटा अग्रेजो ने गरीब कोअब इस फकीर का क्या होगा॥ खोल दिये …
******* तडपती रान सारे************* हे तडपती रान सारे, तडपती फुल बागा आगीसारख्या या उन्हाने जीवन उजाडला सारा //धृ// भट्टी तापिली तापिली वर कोऱ्या आभाळाची, सर्व प्राण्यांपक्ष्यांना लागली चाहूल प्राणाची …
करती है सरकार भईया।। आजकल व्यापार भईया।। इन्हें तो बस वोट चाहिए। देश का बंठाधार भईया।। गुंडे मवाली छुटभैयों से संसद है लाचार भईया। किसे पड़ी है सच बोलेगा …
होली का माहोल.. कुछ रंग मुझको लूटने दो. सब चले जाते ह छोड़ के “असरार” तुम रहो कि मेरी महफ़िल में, कि थोड़ी तो रंगत रहने दो!
मैं वो रंग हुँ जो तेरी मस्ती में खिलता हुँ मैं वो नूर हुँ जो करके दीद तेरे चमकता हुँ ! अरे मुझको इधर उधर कि बन्दिशों में मत …
डर तो लगता है तुझे भी मेरी बेरुखी से…. जो तु आज कल मुझपे इतना महरबान है!! कंही हो ना जाए ये आँखे गम… कंही हो ना जाये ये …
जब से होश सम्भाला है.. खुद को जहानत कि दुनिया में पाया है.. इस जंहा में कदम रखने को .. ना जाने कितने अपनों को मेने ठुकराया है बड़ी …
मैं आवाज दु तुझे, तो तु चले आना! अगर हो इम्तिहान मेरी वफ़ा का तो तु चले आना !! जिंदगी के रंज-ओ-गम अकेले बाँट लूंगा मैं! मगर बात हो …