Category: अनिश मिश्र ‘अप्पू’
काश … काश मैं तुम से मिला न होता ये दिन न होती, ये मैं न होता तू रहती वहीं, हो जहाँ अभी, अभी जो है वो वक़्त न …
अपने तो अनेक सपने हैं कुछ दूजों का भी कर जाओ मर्त्यभुवन के इस धरा पर उपकार किसी का कर जाओ। पंचतत्व का बना शारीर यह इक दिन …
हर वर्ष नई उमंग है लाती, जन जन को हर्षित कर जाती शुभ स्वच्छ मंगल दिवस, नव वर्ष दिवस नव वर्ष दिवस कौन रजा, रंक कौन, रहे न बैठे …