Category: अनिल कुमार सिंह
मुझे मंज़िलों का पता नहीं मेरे रास्ते मेरे साथ हैं, तुझे सिर्फ मेरी ही प्यास है, मुझे मंज़िलों की तलाश है। तूँ खड़ा जो मेरी राह में , मुझे …
अगले ही पल का ठिकाना किसे पता और किसने जाना , रेत के महलों पर बैठे जिंदगी को बुनते जाना कितनी सुन्दर कितनी लम्बी किसे पता और किसने जाना….. …
जैसी जहां की मिट्टी मौसम, वैसा फूल वहाँ खिलता है, जीवन के लंबे रस्ते में देखो कौन कहाँ मिलता है ? ….. टूटी फूटी ऊबड़ खाबड़ यादों का कमजोर …
तुम जिसे अन्धविश्वास कहते हो , अन्धविश्वास ही होगा शायद ! पर मेरे लिए बेहतर है तुमसे ……. …यह अन्धविश्वास, मुझे कठिन समय में विश्वास देता है., ध्येय और …
हाथ जोड़ कर वह आता है… जर्जर छप्पर की चौखट में शीश झुका कर हाथ जोड़ कर एक मौसम में वह आता है मुझको मेरे दर्द दिखा कर टूटी …
सड़क की पटरी रैन बसेरे झुग्गी झोपड़ी की आबादी, रात हुयी तो ऐसे लगती, जैसे किसी ने लाश बिछा दी , कचरों में जीवन तलाशते, जूठे पत्तल दोने चाटते …
न करना मेरे मालिक , अब और मत करना , देखा नहीं जाता सिसकियों का खंडहरों में दब के रह जाना, चहकते बसेरों का पल में जमीदोंज हो जाना, …
तुम्हारे चेहरे को चाँद सा चेहरा कह नहीं सकता नीरस, निरार्द्र ,निर्जीव, बड़े बड़े गड्ढों से भरा , दूसरे की रोशनी से चमकने वाले की उपमा तुम्हारे चेहरे को …
मेरे हाथों की मेहंदी की गुज़ारिश है , तुम अपनी चौखट फूंलों से सजा लेना दरों दीवारों को स्याह रंगवा देना, मैंने आँचल में सितारे जड़ा रखे हैं , …
रंगीन चाँदनी से आकाश जगमगाया, होली का चाँद कैसे सज संवर के आया, अपनी हथेलियों में गुलाल भर के लाया, ओ कलियों जरा बच के भँवरे हैं स्वांग रच …
तेरी याद जो रग रग में समाई है लहू बन कर , बरास्ता दिल से गुजरती है हरदम …… वो पल जो करीब आ कर बिताये थे हमने , …
बुझती नहीं ताउम्र एक बार जो जल जाती है, वक़्त के कदमों तले वो राख़ में छिप जाती है । बेचैन रहती थी जो एक झलक पाने को , …
निकल कर कोख से वो आसमान नापता है, अभिमान की खुमारी में वो देखो कैसे हांकता है, चलने वाले भी बहुत हैं उसके पीछे पीछे, दिखा कर दर्द खुशियों …
क्यों करें फ़िक्र इस ज़माने की इसको आदत है बस रुलाने की… पत्थरों के जो फूल होते तो क्या महक होती आशियाने की … वो मेरा था जो अब …