Category: अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’
चीनी जिससे हैं डरे, करते क्या-क्या ढोंग.अभ्यासी वह वर्ग है, पावन ‘फोलुन गोंग’.पावन ‘फोलुन गोंग’, सरलतम जीवनशैली.करते योग निरोग, वैश्विक प्रतिभा फ़ैली.उन पर अत्याचार, करें आजादी छीनी.छीन बेचते अंग, …
दिखा प्रतिबिम्ब दर्पण में सहज यह भाव आया है.तुम्हारा साथ ऐ साथी हमारे मन को भाया है.समर्पित भावना हो यदि शिकायत ही कहाँ होगी,न हो अब दिल्लगी दिल से …
मुक्तिका: चाहता है हृदय आज आ रे सखे. मन मगन नित्य आँगन बुहारे सखे.. बंद आँखें खुलीं हैं अभी आज जब, रूप की राशि नयनों के द्वारे सखे. रोकता …
खुलेआम सड़कों पे सबको धता दो ये पर्दा है किससे हमें भी बता दो …………………………………………….. सभी से है पंगा जो तीखे हैं तेवर हो मासूम फिर भी छिपाती हो …
अजी चाहे जब गीत औरों के गाना चहकना बहकना व सीटी बजाना गुसलखाने में मस्त हो गुनगुनाना मगर मेरे भाई तू कवि बन न जाना …………………………………………. कविता बहुत से …
माँशैलजाश्रीभगवतीशुचि अम्बिकागौरीत्वयं . त्वंअष्टभुजदुर्गाशिवानी चंडिकाज्वालास्वयं . उद्धारिकारिपुदुष्टदैत्यं हारिणीजगदुःखभयं . शरणागतंशिवशक्तिरूपं दंडवतवन्देवयं .. रचनाकार : इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’ दूरभाष: 09415047020, 05862244440
शुचिशंखचक्रंकौमुदीकर पद्मशेषंशोभितं . गरुणध्वजंअजलक्ष्मीपति वासुदेवंध्यायितं . शुभश्रेष्ठतंशृंगारतुलसी शालिग्रामेअच्युतं . हृदवन्दनंविधुविष्णुरूपं कल्किकृष्णंकेशवं .. रचनाकार : इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’ दूरभाष: 09415047020, 05862244440
शुचिगौरवर्णीहिमसुताहर नीललोहितशंकरं . भुवनेशभद्रंभगवतीमाँ रूपराशिमनोहरं . प्रभुशीशगंगा पापनाशिनि अम्बिकाद्वैपूजितं . शरणागतं सर्वेश्वरंशिव शैलजासुरवंदितं .. रचनाकार : इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’ दूरभाष: 09415047020, 05862244440
गुरुदेवत्वंशुचिज्ञानपुंजं कोटिसवितासमप्रभं . द्विजजन्मदातापञ्चरिपुहर सिद्धिदायकतमहरं . सद्बुद्धिशुभसन्मार्गप्रेरक गुरुकृपामममस्तकं . कुरुध्यानअंबरदंडवतनित आदिगुरुपरब्रह्मत्वं .. रचनाकार : इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’ दूरभाष: 09415047020, 05862244440
शिवरुद्रएकादशत्वमेंयं पवनतनयंध्यायितं | नृपकेसरीहरिअंजनासुत पञ्चमुखप्रभुपूजितं | शनिदम्भहर्तादुष्टदलनं ज्ञानवीरंशोभितं , शरणागतंसियरामभक्तं हनुमतंसुरवंदितं || रचनाकार : इं० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’
करबांसुरीमनमोरश्यामल उज्ज्वलाद्वैशोभितं | शुचिभावमुद्राछविमनोरं अखिलविश्वंमोहितं | सुखशांतिदात्रैलोक्यपूजित रूपराधावल्लभं | शरणागतंशुभभगवते गोवासुदेवंकेशवं || रचनाकार : इं० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’
मसिलेखनीकरश्यामवर्णी सृष्टिपूजितध्यायितं | दुःखपापहर्तामोक्षदायक न्यायईशंवंदितं| सदबुद्धिदायककर्मयोगी ओंकारंपूजितं, शरणागतंप्रभुरूपपावन चित्रगुप्तंशोभितं|| –इं० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’
शुचिशुभ्रवसनाशारदा वीणाकरेवागीश्वरी | कमलासिनीहंसाधिरूढ़ा बुद्धिदाज्ञानेश्वरी | अमृतकलशकरअक्षसूत्रं पुस्तकंप्रतिशोभितं, शरणागतंशुभसत्त्वरूपा वेदमातावंदितं || — इं० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’
श्रीवैष्णवीभृगुख्यातिजनिता सिन्धुतनयाशोभितं| पद्मासिनीकरशंखकमला स्वर्णदासुरपूजितं| हेऋद्धिदायिनिसिद्धिरूपा पूजितं गजवंदितं, श्रीविष्णुभार्याविश्वमाया लक्ष्मीजनमोहितं|| रचयिता : –इं० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’
मुश्किलें हैं रास्तों में आज इनसे होड़ ले. जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले. मंजिलें अलग-अलग हैं रास्ते जुदा-जुदा, गर तू पीछे रह गया तो …
इन्साफ जो मिल जाय तो दावत की बात कर मुंसिफ के सामने न रियायत की बात करतूने किया है जो भी हमें कुछ गिला नहीं ऐ यार अब तो …
(१) बालिका की नज़र से फोटो खींचा खींच लो, जानूं नहिं क़ानून. मैं तो फ़र्ज़ निभा रही, मेरा देख ज़ुनून. मेरा देख ज़ुनून, घूरते लोग अचम्भा. साफ़ करूं वह …
(बहरे रमल मुसम्मन मख्बून मुसक्कन फाइलातुन फइलातुन फइलातुन फेलुन. २१२२ ११२२ ११२२ २२) जब भी हो जाये मुलाक़ात बिफर जाते हैं हुस्नवाले भी अजी हद से गुजर जाते हैं …
हर शख्स नारियों पे अभी मेहरबान है पानी में कितना कौन है नारी को ज्ञान है. नवजात बाँधे पीठ करे हाड़तोड़ श्रम, तकदीर से गिला न ये गीता-कुरान है. …
भारतवासी हम सब सारे इसको माँ ही जाना है माँ को जो भी आँख दिखा दे उसको दुश्मन माना है लूटा मुगलों ने पहले फिर अंगरेजी बाराह मिले झेल …
सिंधु बिंदु-बिंदु हिंदु, एक रूप सारा हिंदु-जाति जाति नहीं , है विचारधारा. एक साथ रहते थे, धूप-छाँव सहते थे हिन्दू ही भाई थे, बने जो इसाई थे सिक्ख वीर …
(मत्त सवैया छन्द आधारित) सीतापुर सबके मन भाये, अपना पावन है ग्राम यहाँ मैया सीता का धाम यही, हैं कण-कण में श्रीराम यहाँ…. 2 यह अमर शहीदों की धरती, …
पूर्ण यौवन पर दहकते भानु के अंगार पंखुड़ी से होठ उसके शुष्क थे इस बार प्यास से अवरुद्ध होता था गला घोर अंतस के तिमिर में हो विलीन कोंचती …
(छंद गीतिका) भाद्रपदशुभशुक्लपक्षे प्रतिपदाप्रतिशोभितं. मातृभुवने सुतप्रभासे सिद्धिजनकंमोहितं. विश्वकर्माविधिविराटं पञ्चमुखप्रभुपूजितं. सर्वकर्मसुवन्दनंकुरु देवशिल्पीध्यायितं.. –इं० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’
शिवशैलजासुत पूज्य प्रथमं मोक्षज्ञानप्रदायकं. गुरुगजबदन गणपतिगजानन विध्ननाशविनायकं. शुभ वंदनं प्रभु पाशधारी अस्त्र अंकुशशोभितं, नत नमन ‘अम्बर’ एकदंतं सिद्धिबुद्धिसुमोहितं || –इं० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर'(ऋद्धि, सिद्धि व बुद्धि : गणेश जी …