Category: अमर चंद्रात्रै पान्डेय
बहते आंसुओं की जुबां नहीं होती. लफ्जों में मोहोब्बत बयां नहीं होती. मिले जो प्यार तो कद्र करना किसमत यूं हर किसी पर मेहरबान नहीं होती
जब बैठता हु कुछ सोचने के लिये मुझे दुनियावालो का कत्ल -ए-आम याद आता है, मजहब के नाम पर जुदा कर दिया गया हमे् अपनो ने शर्म आता है …
जब ख्वाबो में मुलाकात-ए-यार हुआ करता है, हर तरफ मौसम-ए-बहार हुआ करता है , बिछा देते है उनकी रास्तो में हथेली अपना, जब कभी उनका रास्ता कांटेदार हुआ करता …
# Sad for Bangladesh IS attack… दया भी ना आती है इन मनुस्य रूपी नागो को, पल भर में बुझा जाते है कितने घरों क चिरागों को , जान …
कुछ दिन पहले मैं अपने गांव के सड़क से गुजर रहा था, तभी कुछ आवाजे सुनाई दी शायद कोई लड़ रहा था….. मैंने भी हकीकत का पता लगाने का …
( नमस्ते दोस्तों ।ये मेरी पहली रचना है अाशा करता हू कि आपलोगों को पसन्द आएगी ।) सुहाना था सफर आसमान में बादल छाए थे, भरी बरसात के बीच …