नव रसमय मूरति सदा, जिन बरने नंदलाल। ‘आलम आलम बस कियो, दै निज कविता जाल॥ प्रेम रंग पगे, जगमगे जागे जामिनि के, जोबन की जोति जागि, जोर उमगत हैं। …
जा थल कीन्हें बिहार अनेकन, ता थल काँकरी बैठि चुन्यो करैं। जा रसना सों करी बहु बातन, ता रसना सों चरित्र गुन्यो करैं।। ‘आलम’ जौन से कुंजन में करी …
चंद्रिका चकोर देखै निसि दिन करै लेखै , चंद बिन दिन दिन लागत अंधियारी है । आलम सुकवि कहै भले फल हेत गहे , कांटे सी कटीली बेलि ऎसी …