Category: आदेश कुमार पंकज
दगल – फसल पाये पुरस्कार | मन – शर्मिंदा है धिक्कार | आदेश कुमार पंकज
लोग अपनों से हुये , क्यों दूर हैं | लोग अपनी मस्ती में क्यों चूर हैं | भावनाओं को समझते हैं खिलौना, लोग अपनी बस्ती के क्यों क्रूर हैं …
चोर मिलें हों,पहरेदारों से , तो जंजीरों का क्या मतलब | साँप मिलें हों , नेवलों से , तो तंजीरों का क्या मतलब | प्रतिकूल असर हो मेवा से …
आकर अब माँ शारदे , दो मुझको वरदान | मधुरगीत मैं गा सकूँ, दे दो मुझको ज्ञान || आदेश कुमार पंकज
गलतियाँ पाना जहाँ , वहाँ सुधार लिख देना | इंसान मिलते हो जहाँ , त्यौहार लिख देना | ताजी पवन चलती जहाँ हो,बहार लिख देना | बहे प्रेम की …
आदमी को आदमी से , है लड़ाती यह सियासत | रक्त निर्दोषों का हर दम, है बहाती यह सियासत | नफरतों के बीज बोती , हर नगर , हर …
आकर अब माँ शारदे , दो मुझको वरदान | मधुरगीत मैं गा सकूँ, दे दो मुझको ज्ञान || आदेश कुमार पंकज
गलतियाँ पाना जहाँ , वहाँ सुधार लिख देना | इंसान मिलते हो जहाँ , त्यौहार लिख देना | ताजी पवन चलती जहाँ हो,बहार लिख देना | बहे प्रेम की …
पत्थर तो भगवान बने , पर भगवन पत्थर होते नहीं हैं | सारी दुनिया सो जाये , पर भगवन जगते , सोते नहीं हैं | कर्मशील मानव जग में …
जिससे कोई पहचान न हो, उन तस्वीरों का क्या मतलब | चार कदम जो चल न सकें, उन तनवीरों का क्या मतलब | सोती रहें म्यान में पंकज , …
पापी अधमी सभी पर , करते हो उपकार | समदर्शी एक आप हैं , सबको देते प्यार || एक सहारा आपका , आपहि में विश्वास | नौका पार लगाय …
झूठ कैसे भी बोलो , किसी भी तरह से , झूठ कभी सच बनता नहीं है | दीप कैसा भी हो , किसी भी तरह का , बिना तेल …
हंस वाहिनी , वीणा वादिनी , ज्ञान दायिनी , मेरी माँ | मन मंदिर का कलश लिए हूँ , उसे ज्ञान से भर दो माँ | मन बगिया के …
अम्मी हो या मम्मी हो , दोनों जय की अधिकारी हैं | माता को माता न कहना , यह माता से – गद्दारी है | खाकर अन्न जहाँ का …
भारत माता का अपमान, देश नहीं सह सकता है | देश द्रोह की बात जो बोले यहाँ नहीं रह सकता है | भारत के सब गद्दारों को, शूली पर …
सलोनी सी मूरत , का दरश चाहिये | भगवन तेरे – दर , का पता चाहिये || गाऊँ तेरे – गीत , हर पल सदा मैं , मेरी वाणी …
स्वप्न तेरे मैं बनूँगा याद रखो | नयन तेरे मैं बसूँगा याद रखो | हो भले ही दूर , तो भी बात क्या , हर मोड़ पर मैं मिलूँगा …
भावनायें हों गयीं हैं चकना – चूर अब | राहें सारी हों गयीं हैं शूल से भरपूर अब | था कल- तक जिनको नहीं कोई जानता , एक दिन …
कल देखा था मैनें , वह ख्बाव हो गया | बोतल में पानी था , वह शराब हो गया | सँभल सँभल कर चलना मेरे दोस्त अब , जमाना …
साथ पंकज है कठिन , कर रहे जो रोज वादे | साथ उनके तुम चलो , नेक हैं जिनके इरादे || दोस्त हो सकते नहीं हैं , बरसात के …
मिटाने से लकींरें , कभी छोटी नहीं होतीं | नियत नेक लोगों की , कभी खोटी नहीं होतीं| चाहे कितना भी भरा हो , सोना खजाने में ,, आटे …
किससे कहूँ मन की व्यथा , अब कौन अपना है कहाँ | स्वार्थ वश है चल रहा , जब विश्व में सारा जहाँ | जब भी मन का द्वार …
मानता हूँ मैं , कोई तुमसा भला नहीं है | मानता हूँ दूसरा , तुमसा मिला नहीं है | गैरों पर यकीं कर , अपनों पर शक किया है …
सूरज यहाँ का फिर , सबको जला गया | जाड़ा यहाँ का फिर , हमको गला गया | वीरान बस्ती और , खण्डहर कह रहें हैं, धोखे से पंकज …
रोज सवेरे चेहरा अपना, मैं तुझमें देखा करता हूँ | रोज सवेरे याद में तेरी , गीत नया गाया करता हूँ | तुम जीवन की डोर हो मेरी, चाहे …