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23/10/2016
अज्ञात कवि, अज्ञेय, अटल बिहारी वाजपेयी, अभिषेक उपाध्याय, ऋतुराज, ओमेन्द्र शुक्ला, धर्मेन्द्र कुमार निवातियाँ, नवल पाल प्रभाकर, राम केश मिश्र, शर्मन, शिशिर कुमार गोयल, सजन कुमार मुरारका
“आरक्षण की आग मे जल रहा हैं हिन्दुस्तान”,शिक्षा नौकरी पाने को बिक रहे हैं कई मकान,ठोकरे मिलती हैं यहा मिलता नही हैं ग्यान…. “आरक्षण की आग मे जल रहा …
मैं अपनी सोच बदल नहीं पाया तेरे लिए , तुझको देखा है मैने बंद कमरे में शिसक-शिसक के रोते हुए। मैंने .. तुझे माँ के रूप में पाया था …
मिलो न मिलो हकीकत में तुम, तो क्या गम है, ख्वाबों का सहारा लेलेंगे . किस्मत में नहीं किनारे अगर, तेरी यादों के समुन्दर में खुद को डुबो लेंगे. …