Tag: व्यंग गीत
आज पग -पग पर खडा है कंस / नखों में भर तक्षकों के दंस / त्रस्त जीवन गरलमय परिवेश , चतुर्दिक संत्रास का उन्मेष ! रच रहा इतिहास …
लिखो नई पटकथा देश की रचो नया इतिहास ! गांव- गांव में नगर-नगर में फैले नया उजास !! ॠद्धि- सिद्धि -संॠद्धि देश से है अब कोसों दूर , अमन-चैन …
रोते और विलखते बच्चे उनके सारे दाबे कच्चे ! नहीं पेट में हैं जब दाने बच्चे घर से चले कमाने मजबूरी में पाते गच्चे ! रोते और विलखते बच्चे !! कचडों में साधन तलाशते विद्यालय के बन्द रास्ते बैठक पर बैठक औ चर्चे ! उनके सारे दाबे कच्चे !! भूख इन्हें मुह रोज चिढाती , रोटी पग-पग पर ललचाती . खिचडी पर खर्चे ही खर्चे ! रोते और विलखते बच्चे !! जाडे में पाले से मरते …
राष्ट्रीय दामाद से पंगा? (व्यंग गीत) अरे मूर्ख, राष्ट्रीय दामाद से क्यूँ लिया तुने पंगा..! लगता है, `बनाना रिपब्लिक` अनादि से है भिखमंगा..! (अनादि= अनंत ) १. मंत्रीजी उवाच, …
घूम -घूमकर चतुर मदारी दिखा रहा चहूओर तमाशा ! नाला -नलिया सडक- सडकिया कही-कही पर पुल औ पुलिया गढढे मे चल रही सबारी पब्लिक झासा ही झासा ! मेलों में पुस्तकें सजीं हैं …