10+ Amazing Poems on Spring in Hindi | वसंत ऋतु पर अद्भुत कविताएँ

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Poems on Spring in Hindi: हमने पिछले पोस्ट में प्रकृति पर कविताओं के कुछ बेहतरीन संग्रह पोस्ट किए हैं। आइए वसंत ऋतु पर कविताओं का एक और सुंदर संग्रह प्रस्तुत करें।

वसंत जो सर्दियों के बाद और गर्मियों से पहले होता है। वसंत सभी नई शुरुआत और परिवर्तन के बारे में है। इसे एक ऐसे मौसम के रूप में सोचें जो नए सिरे से शुरू करने और फिर से शुरू करने का प्रतीक है। बसंत का मौसम अद्भुत होता है, हम सभी को इसकी सुंदरता से प्यार हो जाता है।

तो आइए वसंत ऋतु पर कुछ कविताओं (Poems on Spring in Hindi) के साथ शुरुआत करते हैं, जो मूड को तरोताजा कर देगा। हमें उम्मीद है कि आप इसे वैसे ही पसंद करेंगे जैसे हम इसे पसंद करते हैं।

Poems on spring season in hindi | वसंत ऋतु पर कविताएँ

1. वसंत आगमन

गीत हजारों लिखे गये सब पड़े पुराने,
देखो आया फिर बसंत नव गीत सूनाने,

मन के अंदर जाने कैसी हूक उठी है,
कोई बताए कोयलिया क्यूँ कूक उठी है,

वृक्षों ने क्यों वस्त्र पुराने त्याग दिए हैं,
नए वस्त्र फिर ऋतु बसंत से मांग लिए हैं,

सरसों के ये खेत बोलते कैसी भाषा,
किसको रहे पुकार, जगाते से अभिलाषा,

टेसू ने भी रक्त वर्ण आमंत्रण भेजा,
आ मनुष्य आ, ले अमूल्य सम्पदा ले जा,

आम्र वृक्ष में नव ऋतु का है बौर आ रहा,
हमें बताने देखो कोई मोर आ रहा,

कुसुमाकर ने किस्म किस्म के कुसुम बिखेरे,
प्रकृति कसमसा रही प्रणय पाश के घेरे,

नर की तो क्या बिसात, चित्त है भंग हो रहा,
अंग अंग अनंग संग सत्संग हो रहा,

नव उमंग मकरंद भोग निर्द्वंद हो रहा,
अंतरंग में क्यों परन्तु है द्वन्द हो रहा,

राष्ट्र सुरक्षा सैनिक हिम का भार ढो रहे,
कोटि जनों हित वृद्ध प्राण आधार खो रहे,

कर्त्तव्य प्रणय के मध्य जहाँ यह जंग छिड़ा हो,
वीरों का कैसा हो वसंत, यह प्रश्न खड़ा हो,

फिर बसंत का भाव बदल जाना चाहिए,
रंग दे बसंती चोला ही फिर गाना चाहिए,

बिजली भर देने वाले वो छंद सुनाने,
देखो आया फिर बसंत नव गीत सुनाने।

शेखर वत्स

2. मौसम बसंत का

लो आ गया फिर से हँसी मौसम बसंत का,
शुरुआत है बस ये निष्ठुर जाड़े के अंत का।

गर्मी तो अभी दूर है वर्षा ना आएगी,
फूलों की महक हर दिशा में फ़ैल जाएगी।

पेड़ों में नई पत्तियाँ इठला के फूटेंगी,
प्रेम की खातिर सभी सीमाएं टूटेंगी।

सरसों के पीले खेत ऐसे लहलहाएंगे,
सुख के पल जैसे अब कहीं ना जाएंगे।

आकाश में उड़ती हुई पतंग ये कहे,
डोरी से मेरा मेल है आदि अनंत का।

लो आ गया फिर से हँसी मौसम बसंत का,
शुरुआत है बस ये निष्ठुर जाड़े के अंत का।

ज्ञान की देवी को भी मौसम है ये पसंद,
वातवरण में गूंजते है उनकी स्तुति के छंद।

स्वर गूंजता है जब मधुर वीणा की तान का,
भाग्य ही खुल जाता है हर इक इंसान का।

माता के श्वेत वस्त्र यही तो कामना करें,
विश्व में इस ऋतु के जैसी सुख शांति रहे।

जिसपे भी हो जाए माँ सरस्वती की कृपा,
चेहरे पे ओज आ जाता है जैसे एक संत का।

लो आ गया फिर से हँसी मौसम बसंत का,
शुरुआत है बस ये निष्ठुर जाड़े के अंत का।

शिशिर “मधुकर”

3. बसंत ऋतु

बसंत ऋतु का हुआ आगमन,
झूमें आम, कुसुमित डाली।

पीली सरसो,
लहर रही है, खेतों में है हरियाली।

महक उठे हैं गाँव गली सब,
नयी उमंगे हर मन में।

हवा बसंती चले मस्त हो,
थाप पड़े उसकी तन में।

चना, मटर, सरसो भी अब,
फूलों से कर रहे सिंगार।

गेहूँ,धनियाँ,पालक, मूली,
हरियल चोला रहे निहार।

दुल्हन के सम सज गई धरती,
वन-वन हरियाली छायी।

प्रेम मुदित मन करता स्वागत,
प्रिय बसंत ऋतु है आयी।

अंजनी कुमार शर्मा

4. बसन्त पंचमी पर निराला-स्मृति

था यहाँ बहुत एकान्त, बंधु
नीरव रजनी-सा शान्त, बंधु
दुःख की बदली-सा क्लान्त, बंधु
नौका-विहार दिग्भ्रान्त, बंधु !

तुम ले आये जलती मशाल
उर्जस्वित स्वर देदीप्य भाल
हे ! कविता के भूधर विशाल
गर्जित था तुममें महाकाल

भाषा को दे नव-संस्कार
वर्जित-वंचित को दे प्रसार
कविता-नवीन का समाहार
करने में जीवन दिया वार

विस्मित है जग लख, महाप्राण !
अप्रतिहत प्रतिभा के प्रमाण
नर-पुंगव तुमने सहे बाण
निष्कवच और बिन सिरस्त्राण

अब श्रेय लूटने को अनेक
दादुर मण्डलियाँ रहीं टेक
कैसा था साहित्यिक विवेक
छिटके थे करके एक-एक

झेले थे कितने दाँव बंधु
दृढ़ रहे तुम्हारे पाँव बंधु
है, यह मुर्दों का गाँव बंधु
बाँधो न नाव इस ठाँव बंधु

अमिताभ त्रिपाठी ‘अमित’

5. वसंत आ गया

मलयज का झोंका बुला गया
खेलते से स्पर्श से
रोम रोम को कंपा गया
जागो जागो
जागो सखि़ वसन्त आ गया जागो
पीपल की सूखी खाल स्निग्ध हो चली

सिरिस ने रेशम से वेणी बाँध ली
नीम के भी बौर में मिठास देख
हँस उठी है कचनार की कली
टेसुओं की आरती सजा के
बन गयी वधू वनस्थली

स्नेह भरे बादलों से
व्योम छा गया
जागो जागो
जागो सखि़ वसन्त आ गया जागो

चेत उठी ढीली देह में लहू की धार
बेंध गयी मानस को दूर की पुकार
गूंज उठा दिग दिगन्त
चीन्ह के दुरन्त वह स्वर बार
“सुनो सखि! सुनो बन्धु!
प्यार ही में यौवन है यौवन में प्यार!”

आज मधुदूत निज
गीत गा गया
जागो जागो
जागो सखि वसन्त आ गया, जागो!

अज्ञेय

Small Poem On Basant Ritu Hindi –
वसंत ऋतु पर छोटी कविता

1. आई शुभ वसंत

आनन्द-उमंग रंग, भक्ति-रंग रंग रंगी,
एहो ! अनुराग सत्य उर में जगावनी ।

ज्ञान वैराग्य वृक्ष लता पता चारों फल,
प्रेम पुष्प वाटिका सुन्दर सजवानी ।

सत्संगी समझदार, देखो यह बहार बनी,
अमृत की वर्षा सरस आनन्द बरसवानी ।

कहता शिवदीन बेल छाई उर छाई-छाई,
आई शुभ बसंत संत संतान मन भावनी ।

शिवदीन राम जोशी

2. आया बसंत

आया बसंत, आया बसंत,
रस माधुरी लाया बसंत|

आमों में बौर लाया बसंत,
कोयल का गान लाया बसंत।

आया बसंत आया बसंत,
टेसू के फूल लाया बसंत।

मन में प्रेम जगाता बसंत,
कोंपले फूटने लगी।

राग-रंग ले आया बसंत,
आया बसंत आया बसंत।

नव प्रेम के इज़हार का,
मौसम ले आया बसंत।

बसंती बयार में,
झूमने लगे तन-मन।

सोये हुए प्रेम को आके जगाया बसंत,
आया बसंत आया बसंत।

कविता गौड़

लेख को समाप्त करने से पहले, आइए इस वीडियो के साथ वसंत के मौसम की सुंदरता को देखने के लिए कुछ समय निकालें।

वसंत ऋतु की सुंदरता

Final Words on Poems on Spring in Hindi

इस पोस्ट पर अभी के लिए हिंदी में वसंत पर कविताओं पर यह बहुत कुछ है। हम अगली पोस्ट में विभिन्न विषयों पर कुछ नए कविता संग्रह लेकर आएंगे। यदि आपके पास वसंत कविता से संबंधित कोई कविता साझा करने के लिए है, तो कृपया हमें यहां भेजें .. इसलिए हम इसे इस पोस्ट के अनुसार यहां जोड़ रहे हैं।

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