Tag: शृंगार
तुम्हारे प्रेम की चादर का वो आलिंगन सर्द रातों में सदा मुझे देती है वो तपन चोटों पे जब भी निकली है हृदय से क्रंदन सहारा बना है हमेशा …
तेरी खूबसूरत ये जालिम अदाएं पल पल मुझको इतना लुभाए मानो किसी गुल के महके बदन से भँवरा कोई जैसे लिपटा ही जाए. तुझे देखूँ जब भी मुझे लगता …
हाय तेरी आँखे जिसमे सुंदर संसार नजर आता है। होंगी उज्जवल हिरणी की आँखे, पर उसमे विस्मय , तूझमे विश्वास नजर आता है। हाय तेरी आँखे , जो मुझे …
सुंदरता की नई , परिभाषा हो तुम, मेरे जीवन की, उत्कट अभिलाषा हो तुम । चाँदनी छिंटकती है, भीचती तेरी होंठो से, क्यो ना मरे कोई, तेरी इस अदा …
किसी की तारीफ़ किन शब्दों में की जाए इस पर लिखने का प्रयास किया है ! आशा है आप सभी पसंद करेंगे !!
मुखड़ा कहु या चाँद का टुकड़ा चेहरा तेरा ताज भी शर्माता है देख हुस्न नायब तेरा चाँद भी छुपजाता बादलो में देख हुस्न तेरा कही भूल से हो जाए …
है एक पागल, जो मुझसे प्यार करती है, खफा है सारी दुनिया से पर मुझ पर ऐतबार करती है | ज़रूरत ही नहीं सरे जहाँ कि मुहोब्बत कि, अकेली …
१. उनके केसुओं की लट शरीर की ठिठुरन बढ़ा देती है I उनके क़दमों की आहट पाँव की थिरकन बढ़ा देती है I अपने आप पर ही काबू नहीं …
आँखों के गलीचे में वोह चुपचाप बैठें हैं नजरो को सकते वोह बेताब बैठे हैं कोई उलझन है मन में तोह पूछ लूं लेकिन उनकी आँखों …
जिस पल में हो प्रिय! वास तेरा, उस पल की आभा क्या कहना। जिन गीतों में हो नाम तेरा, उन गीतों का फिर क्या कहना || अंतर्मन में हो …
प्रिय अगर मै रूठ जाऊं, प्यार से मुझको मनाना | जो कभी भटकूँ दिशा से, रास्ता मुझको दिखाना || रात कितनी भी बड़ी हो, चेतना मद्धिम पड़ी हो | …
मोरे कान्हा ले चलो मोहे पार, मै हूँ कब से खड़ा रे तोरे द्वार ।। माया भ्रम की मोरी गगरिया, मारो कान्हा तान कंकरिया। अंग अंग मोरा भीगे ऐसे, …
तुमने ली जब मद-मस्त अंगढ़ाई… हृदय के रुधिर वेग मे फ़ैली पंचम तान अंग -अंग मे शिहरित ओस का स्नान पुष्प सा पुष्पित हिल्लोरित प्राण प्रसन्नता की स्रोत बही …
भोर की लाली छाई,स्वर्णिम आभा का प्रकाश, ली तुमने अब अंगड़ाई,अधखुली नींद का आभास, यह उलझे बालों की लटे, मनमें महके सुवास मिलन के मधुरिम पल, चाहत में चातक …
तेरे अश्रु जल से भरे नयन सर्द हवा मैं जैसे भीगे मेरा तन तेरे मूक अधरों के कंपन गहरे तूफान सा बिचलित मेरा मन तेरे स्तब्द हुये हाथों के …
घनगोर कालि अमबश्या की रात चांदनी को प्रतीक्षित है नई प्रभात हर्षित मन, मन मैं मधुमास भरा उल्लास, मिलन की आश दिन प्रतिदिन घटेगी कालिमा की लेश पक्षकाल मैं …