Tag: शेरो शायरी
हमदर्द ढूंढते हो, दर्द के साये में रहते हो, और हमदर्द ढूंढते हो, बड़े नादाँ मरीज़ हो, खुद-ब-खुद मर्ज़ ढूंढते हो !! खुदगर्ज़ी की जीती जागती मिसाल हो आप, …
चल देता हूँ मैं *** कुछ लिखता हूँ, और लिखकर चल देता हूँ मैं, क्रोध में भी मस्ती को भरकर चल देता हूँ मैं ! है पसंद मुझे, सब …
हुनर *** छोटी छोटी बातों पर अपनों से गिला क्या, इश्क मुहब्बत में हुई बातों का सिला क्या, झुकने का हुनर जरूरी है यहां जीने के लिए, अड़कर पर्वत …
रूह का लिबास *** साँसों की गर्म हवा बर्फ सी जमने लगे, लबों से हर्फ़ जर्जर पेड़ से हिलने लगे, रूह ! तुम लिबास बदल लेना उस रोज़, जिस …
मदारी या फ़रेबी *** मदारी हर दफ़ा कोई नया खेला रचाता है फँसाकर जाल में अपने हमें बुद्धू बनाता है सुई की छेद में हाथी घुसाता है सुना हूँ …
बह्र:- 2122 1122 1122 22 जब तलक उनकी करामात नहीं होती है, आफ़तों की यहाँ बरसात नहीं होती है। जिनकी बंदूकें चलें दूसरों के कंधों से, उनकी खुद लड़ने …
फूल वो सुख नहीं देता जिसकी खुशबू में खामी है तुम आगे बढ़ नहीं सकते अगर मन में गुलामी है भले कांटें अनेकों हैं महकते गुल की सोहबत में …
ग़ज़ल (बुझी आग फिर से जलाने लगे हैंं) बह्र :- 122*4 बुझी आग फिर से जलाने लगे हैं, वे फितरत पुरानी दिखाने लगे हैं। गुलों से नवाजा सदा जिनको …
सरकारें ! सरकारों में पंगे है या पंगो की सरकारें है सरकारों में गुंडे है या गुंडों की सरकारें है हकीकत से हमेशा मुहँ छुपाते है ये लोग, सरकारों …
चमक कम न हो *** चाँद से रोशन चेहरे की चमक कम न हो, झील सी गहरी ये आँखे कभी नम न हो, बहारों की फिज़ाओ में दमकता ये …
अपने ही घर में बेगाना हूँ,हालत पर अपनी बेचारा हूँ ।।मैं सबका सब मेरे है फिर भी,अपनों के बीच अनजाना हूँ,।।कहने को है सारा शहर मेरामुर्दो की भीड़ में …
जब से हम कांटो को, गले से लगाने लगे हैलोग फूलो की चुभन से, हमे सताने लगे है !दर्द से रिश्ता कुछ ख़ास-म-खास हुआ हैमर्ज़-ऐ इश्क में खुद सुधार …
हट गया है आंख से पर्दा सभी के प्यार का अब नजर आने लगा है झूठ सब संसार का जिंदगानी कुछ नहीं मुझ को समझ आया यही एक खेला …
तोड़ देना काश रिश्तों को बहुत आसान होता मन तनहा देखो हमारा फिर तो ना परेशान होता राहगीरों की खबर जो पूछ कर के जान लेते इस सफर में …
दर्द कोई पल रहा हो दिल में गर इंसान के फिर तुम्हें हरदम दिखेगा वो बिना मुस्कान के हर तरफ बिखरा पड़ा है घोंसला वो प्यार का दिख रहे …
कौन है जिसको यहां ना प्यार की दरकार है गर मुहब्बत ना मिले ये जिंदगी बेकार है जो अकेले चल रहे हैं मंजिलों की खोज में थक गए उनके …
अब याद आएगी तुमको फिर से हमसे सुलह की जब तक रहे साथ हम तुम चिंता नहीं थी फतह की जन्नत का कोना हो चाहे घर हो खुदा का …
मुद्दत हुई जब मिलोगे कुछ तो बताओगे मन की तुम्हें याद करनी पड़ेगी हर बात अपने वचन की सीने में कांटे गड़े हैं लेकन ना मैं रो रहा हूं …
यूं ही नहीं हम परेशां ये सब तुम्हारा असर है मिलना मिलाना हुआ है लेकिन अभी भी कसर है तुम दूर बैठे हो छुप के आते नहीं सामने अब …
ज़ाम-ऐ-शराब *** इश्क में हमे न वफ़ा का गुलाब चाहिए,ख़िदमत में न दावत-ऐ-क़बाब चाहिए !हम तो आशिक, मजनूं, दिवाने यार है,उनकी आँखों से ज़ाम-ऐ-शराब चाहिए !! *** स्वरचित – …
अपनी क्या तुमको बताएं मुश्किल से दिन कट रहे हैं बिन तेरे लम्हें सुकूं के जीवन से नित घट रहे हैं जाने पसीजो के फिर तुम या यूं ही …
जी ना सके ए जिंदगी तुझको मलाल है क्या तुझे अब भी कोई मेरा ख्याल है थे बहुत मजबूत पर चोटें तो लग गईं पत्थर भी टूटते हैं जो …
तुम सयाने हो गए हो अब समझ आने लगा आईना हमको तुम्हारे सच को दिखलाने लगा जिंदगी रूकती कहां है हो गया सो हो गया अब हमें खुद का …
एक बार गिर के नजर में कोई भी चढ़ता नहीं है फिर प्रेम आंखों में ऐसी कोई भी पढ़ता नहीं है तुम बात समझे ना मेरी दिल को हमेशा …
हर घड़ी तुझे ढूंढते हैं रूह की ये प्यास है तू बता कैसे कहें तुझ सा ना कोई खास है और कुछ मिलता नहीं तो खुद को समझाते सुनो …