तकिये से बातें करना ! rakeshbublani 04/03/2015 अज्ञात कवि No Comments तकिये से बातें करना, तकिये को कुछ कह कर सोना, तुमको क्या बचपन लगता है ? तकिये से लड़ना झगड़ना, तकिये को आँसू से धोना, तुमको क्या बचपन लगता … [Continue Reading...]
तनहाई में भी खुश janakdesai53 23/06/2012 जनक देसाई No Comments जब जब भी तेरी याद मनमे उभर आई मेरे मन खुशियाँ ही खुशियाँ भर आई एक हसीं माहोल की तरह तू चारो और है हर झोंके के साथ तेरी … [Continue Reading...]