Tag: Raquim Ali ki Kavitayein
अभी तो सोया है इंसानकहीं पर खोया है इंसानअभी न रखता किसी का ध्यानअपरमित समझता खुद का ज्ञानएक दिन जागेगा इंसान, मानवता जाग उठेगी;तभी तो होगा सबका कल्याण।अभी तो …
भाग-329.06.2017, सुबह:पांच दिन के बाद जब मैं निवास पर वापस अकेले लौटा:दो बच्चे आँखे बंद, घोंसले में सुस्त पड़े दिखे मुझकोतीसरे अंडे का क्या हुआ, आइडिया नहीं है …
समर्पण1.शादीशुदा के लिए:उठने लगे तेरी क़लम जब एक नग़मा या खत लिखने के लिएसोच लो यह निस्बत-ए-माशूका है, या अहल-ए-खाना के लिए।हो कलाम किसी और पर, तो तोड़ देना …
मंज़िल-ए-मक़सूद से जब आदमी भटक जाता हैढूंढ़ता रहता है, तड़प जाता हैसही राह नहीं पाता है।चलता है अनजान राहों परख़ुद को अकेला पाता हैहर मंज़र पर नज़र आते हैंकई …