Tag: राजनैतिक कविता
उठे जब एक रोज़ हम ,बड़ी लम्बी -गहरी नींद से ,देखा फिर अपने आस पास ,यूँ ही कुछ देर ख़ामोशी से ,देख कर एक अजीब सा माहौल ,अटपटी सी …
“राजनीति बन गयी तमाशा अपने हिंदुस्तान की,ये कीमत चुकाई है तुमने शहीदों के अहसान कीलूट लूट गरीबों को अपनी तिजोरी भर रहे,सबका पेट पालने वाले आत्महत्या हैं कर रहे।बाद …
तैयार हो जाओ ….आया है मौसम चुनावी बरसात का,बरसाती मेंढक अब तैयार हो जाओचल निकलेगी अब तुम्हारी लाटरीथाम झोला छतरी तैयार हो जाओ !!जम के गरजेंगे नेताई काले बादलकृपा …
देवमानव – 1क्यों नहीं सारी स्त्रियां डूब कर मर जातीं पानी मेंक्यों नहीं सारे भूखे नंगे किसान मज़दूर मिलकर आत्मदाह कर लेतेक्यों नहीं ज़हर खाकर मर जाते सारे दलित …
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23/10/2016
अज्ञात कवि, अज्ञेय, अटल बिहारी वाजपेयी, अभिषेक उपाध्याय, ऋतुराज, ओमेन्द्र शुक्ला, धर्मेन्द्र कुमार निवातियाँ, नवल पाल प्रभाकर, राम केश मिश्र, शर्मन, शिशिर कुमार गोयल, सजन कुमार मुरारका
“आरक्षण की आग मे जल रहा हैं हिन्दुस्तान”,शिक्षा नौकरी पाने को बिक रहे हैं कई मकान,ठोकरे मिलती हैं यहा मिलता नही हैं ग्यान…. “आरक्षण की आग मे जल रहा …
झूठे आश्वाशन दिलाकर, मांगते हो तुम वोट, मिल जाये जब कुर्सी तुमको, भरने लगते हो तुम नोट, देश-सेवा की शपथ खाकर, मन में रखते हो तुम खोट, जिस थाली …
कैसे राज करेंगे राम, जब निशाना अर्जुन का चूक गया, क्यूँ करें कर्ण अब दान, जब सावित्री का सौभाग्य लूट गया, कैसे रहे अटल हरिशचंद्र, जब गांधी सत्याग्रह छोड़ …
ख़्वाहिशें भूल कर, ख़्वाबो से दोस्ती कर, अँधेरे पास ना आएंगे, चरागों से दोस्ती कर | घूमते हैं यहाँ ..नकाब पहने लोग, तू दिल को देख न चेहरो से …
ताकत के जोर पर न हो जुल्म कीसी पर । लफ्जो से न होने दो कीसी के घाव दिल पर। प्यारा है सन्सार लुत्फ उथा कर जियो यहा पर। …
एक ऐसे भारत की कल्पना करती हूँ.. जिसे कभी गाँधी के सपनों ने संजोया था उसको पूरा करने के लिए शहीदों ने प्यार का बीज बोया था….! ऐसे भारत …
कौन कहता है कि सरकार आज ताकतवर है मुझे तो लगता नहीँ किसी को कहीँ कोई डर है बस एक मध्य वर्ग के लिए सारी कानूनी बाते है बाकी …
-: खुद के अंतर मन में :- दुनिया में जीने का , सलीक़ा ढूंढ़ रहा हूँ । खुद के अंतर मन मेँ, खुद को ही ढूंढ़ रहा हूँ ।। …
अपने जीवन में गर तुम इन बातों को सदा अपनाओगे तो निश्चित ही अपने भारत के बुद्धिजीवी कहलाओगे सबसे पहले हिन्दू मत का सीधा सीधा अपमान करो सभी लुटेरे …
मीडिया में आजकल बहुत देशभक्ति दिख रही है पठानकोट हमले पर ही सारी बहस चल रही है वो पूछते है जब सूचना थी तो कैसे हमला हो गया मोदी …
कुछ बुद्धिजीवियों को बढ़ती असहिंष्णुता के सपने आ रहे हैं जिससे हुए व्यथित वो सरकारी सम्मान लौटा रहे हैं एक दादरी हिंसा पे इनकी आत्मा रोती है कश्मीरी हिन्दुओं …
आज के इन हालातों में नज़रों को ज़रा घुमाओ तो आसानी से मिल जाएगी तुमको ये कड़वी सच्चाई जीना उसका दुश्वार हुआ है जो जीवन में सच्चा है घुटकर …
चुनाव का त्योहार आया होली का हुड़दंग भी जिस से सरमाया नेता एक दूजे पर कीचड़ उछालें समर्थन और विरोध में कसीदा काटें , कहते यह लोकतंत्र का पावन …
मतदाता जाग जाओ लोकतंत्र में अपनी तगत पहचान जाओ। आज वह तुम्हें हाथ जोड़ रहें पॉँच वर्ष फिर तुम हाथ जोड़ोगे आज भीड़ का हिस्सा बन रहे कल भीड़ …
माफ़ कीजियेगा….. कुछ भी लिखता हूँ !! एक दिन राह चलते मुलाक़ात हुई एक नेताजी से मैंने पूछा,ये बदनामी का ताज तुहारे हिस्से क्यों है, प्रसन्न मुद्रा से बोला …
नेताजी बने लेखक लिखन लागे किताब एक तो उनकी नाम बढ़ी दूजे हुई लक्ष्मी की वरसात , वो करें एसी खुलासा जिस पर हो विवाद बढे उन्की प्रसिद्धि बनी …
आते जाते रहा चेहरा तेरा ख्यालों में रात भर, चाँद भटका है बहुत सावन की घटाओं में , भूख से लरजते बच्चे ने माँ से पूछा, माँ, ये खुशबू …
राजनीति
बहुत सेक चुके बातो पर रोटि अब कर्य पे बल होगा जिसकि नीयत देश हित की उसके साथ ही जन होगा वादे करना सोच समझ कर सकल पूरा करना …
मेरे भारत की छटा बड़ी निराली है यंहा अंधे भक्तो की भीड़ भारी है सत्य, असत्य से सरोकार किसे है सब सुनी सुनाई पेलने के पुजारी है अपनी-२ पसंद …
अपने देश की राजनीति आज गीली मिटटी की तरह हो गयी जो भी इसमें आता उसकी नज़र आज बुरी ही नज़र आती पांच साल अपने यूँ ही बिता दिए …