Tag: प्रकृति पर कविता
बसंत आने को है *** दीपशिखा के चंचल चरण करने चले है फागुन वरण शीतल ज्वाला से अपनी सौरभ मधु बरसाने को है सुना है ! बसंत आने को …
कोरोना महामारी नहीं,प्रकृति का एक संदेश लेकर आया है।जिसने प्रकृति के दुश्मनों को आज चेताया है।।जो लोग दूर जाकर प्रवासी हो गए थे।उनको आज फिर से अपनों से मिलवाया …
वृक्ष धरा के आधार वृक्ष धरा के हैं आधार, रोकें इन पर अत्याचार।वृक्ष की जब होगी वृद्धि, चारों और …
ऋतुओं के संग-संग मौसम बदले,बदल गया धरा पे जीवन आधार, मानव तेरी विलासिता चाहत में, उजड़ रहा है नित प्रकृति का श्रृंगार, दरख्त-बेल, घास-फूंस व् झाड़ियाँ, धरा से मिट …
हे पवन !तू है बड़ी चंचल री,छेड़ जाती है,अधखिले पुष्पों को…!है जो चिरनिंद्रा में लीन,सुस्ताते हुए डाल पर,तेरे गुजरने के बादविचलित हो उठते है,नंन्हे शिशु की मानिंदतरस उठते है,जैसे …
यह बेजुबान जानवर,यह भोले जानवर ,इंसान की नियत से बेखबर ,यह मासूम जानवर .घर पर तो लाते हैं,बड़ा प्यार-दुलार देते हैं,लेकिन जब निकल जाये मतलब,तो सड़कों पर भटकने/मरने को …
नयी उम्र की नयी फसल(ग़ज़ल ) नयी उम्र की नयी फसल , बहकी हुई भटकी हुई नस्ल . नस्ल तो है यह आदम जात , भूल गयी जो अपनी …
हाँ मैं वही बसंत हूँ …. =+= जो कभी नई कोंपलो में दिखता थाकलियों में फूल बनकर खिलता थाहवाओ संग ख़ुशबू लिए फिरता थाचेहरों पे नई उंमग लिए मिलता …
भीषण बाढ़ धरती कराहती समझो पीड़ा।बरखा आए मयूर छुप गएचैन कहीं ना। राह कांटों की मुश्किल है चलना छलनी सीना। फूल खिले है चिड़ियाएं उड़ती संग में जीना।शिशिर मधुकर …
अब तो मचा है हाहाकार, वृक्ष बिना बुरा हुआ है हाल।मानव ने यह किया कमाल, ख़ुद को पाएं नहीं सम्हाल।कैसे-कैसे अब किए हैं खेल?, हाल बुरा है पेलम-पेल।गर्मी ने …
दुर्गेश मिश्रा
13/05/2017
अज्ञात कवि, ओमेन्द्र शुक्ला, धर्मेन्द्र कुमार निवातियाँ, नवल पाल प्रभाकर, मदन मोहन सक्सेना, मनिंदर सिंह मनी, राम केश मिश्र, शर्मन, शिशिर कुमार गोयल, सजन कुमार मुरारका, हरदीप कौर सन्धु, हरदीप बिरदी, हरप्रसाद पुष्पक, हरमीत शर्मा कवि, हरि पौडेल, हरि शंकर सैनी, हरिओम कुमार, हरिवंशराय बच्चन, हरिहर झा, हरेन्द्र पंडित, हर्ष कुमार सेठ, हसरत जयपुरी, हितेन पाटीदार, हितेश कुमार शर्मा, हिमांशु 'मोहन', हिमांशु श्रीवास्तव, हेमन्त 'मोहन', हेमन्त कुमार, हेमन्त खेतान, हेमन्त शेष
– एक सफ़र देखे मैंने इस सफर में दुनिया के अद्भुत नज़ारे, दूर बैठी शोर गुल से यमुना को माटी में मिलते | की देखा मैंने इस सफर में….. …
गर तू है मेरे साथ तो हर पल बसंत है वरना मेरी पीर का ना कोई भी अंत है हर बार ये मौसम यही सन्देशा देता है प्रेम के …
बसंत बहार बागो में कलियों पे बहार जब आने लगे, खेत-खलिहानों में फसले लहलाने लगे !गुलाबी धुप पर भी निखार जब आने लगे, समझ लेना के बसंत बहार आ …
कौन सी यह नयी भावना, मन में पाँव पसारे रे |अनकही सी अनछुई सी, जग क्या इसको पुकारे रे |मन का कोई कांच टूटा, आँखें सुनामी लाये रे |कैसा …
pyar ka humne bajood dekhA hai..do dilon ko sang dhadakne ka saboot dekha hai…dhundla tha thoda sa falak pe tika jab..pyar wale chand ka humne swaroop dekha hai… chandni …
भुला कर गिले शिकवे वो प्यार लाएगालालिमा अपने चहरे पर वो साथ लाएगाशीतलता से गर्म स्वभाव को ठंडा कर जायेगाआज घर पर हमारे भी चाँद आएगा साथ हूँ मै …
एक ऊंची लहर आती है, साथ बर्बादी लाती है, पीछे तबाही का मंजर छोड़, साथ सबकुछ ले जाती है, गगन चुम्भी इमारते, ये विशाल विशाल पेड़, कल तक मेरे …
देख रही हैं जमीं आसमां को, जैसे कुछ ढूंढ रही हो, कब आयेगा मेरा बादल, मन ही मन ये पूछ रही हो, चुप्पी साधे खड़ा आसमां, नीचे सिर झुकाता …
“इक छोटा सा बीज हुआ करता था कभी, रौंदते थे आने जाने वाले सभी , फिर भी आलोचना ना की मैंने कभी” “नन्हा पौधा हुआ करता था कभी, तोड़ते …
नदियों के बहाव को रोका और उन पर बाँध बना डाले जगह जगह बहती धाराएँ अब बन के रह गई हैं गंदे नाले जब धाराएँ सुकड़ गई तो उन …
अगर देखता हूँ फूल मैं गुनाह तो नहीँ करता उसकी जया से बस उदास दिल मेरा संवरता कुदरत ने ये सब खूबियां यूँ ही नहीं बनाई हैं प्रक्रति पुरुष …
एक लड़की जिसकी आँखे , सब कुछ बयां करती है , खोलती है उसके सारे राज , उसकी आँखे सूरज सी तपिश लिए हुए है , जो निरंतर प्रकाश …
सावन का महीना ज्यों ज्यों ही पास आता हैं उमस भरा मौसम सकल लोगों को सताता हैं गोरियां राहत के लिए जो उपाय अपनाती हैं उस से तो सावन …
कितनी खुशबू दी खुदा ने इस गुल ए गुलाब को पर कांटों से भी घेरा हैं इसके मचलते शबाब को कुदरत यही चाहे ना पहुँचे कोई बेरहम इस तक …
हिमगिरि कहीं वृहद मरुस्थल कही स्याह रात कही दिवा धुप अतिशय शांति कही शेर गर्जना मनोहारिणी कही विभस्त रूप कहीं हरसिंगार फैलाती सुगंध कही कीट विहग की चहचहाहट कहीं …