अज्ञातवास से लौट कर admin 24/06/2012 हेमन्त शेष No Comments अपने हर अज्ञातवास पर हम थे पहाड़ जैसे निष्कंप किंतु भीतर से ओस जैसे आर्द्र खेद और प्रतीक्षा में निकल रहे थे वर्ष वस्तुएँ बरस रही थीं बेरहमी से … [Continue Reading...]
पहाड़ से लौट कर admin 24/06/2012 हेमन्त शेष 2 Comments हम जहाँ कहीं जाएँ पहाड़ हमें बुलाएँगे उनकी कोख से फूटेंगे झरने जिन के जल में हमारे लौटने की प्रतीक्षाएँ दर्ज होंगी आकाश के अनंत की तरफ तनी होंगी … [Continue Reading...]