Tag: दीपावली पर कविता
मिट्टी वाले दीये जलानाजो चाहो दीवाली होउजला-उजला पर्व मनेकही रात न काली होमिटटी वाले……………..जब से चला चायना वाला,कुछ की किस्मत फूट गयीविपदा आई एक अनोखीरीत हिन्द की टूट …
अंदर का अंधकार मिटायें, धरती का तम दूर भगाएं. घनघोर निराशा अन्धकार छाई है, हर ओर अन्धकार आज भाई है. मर रही मानवता से ये तबाही है, चहूँ ओर …
हे शीतन समीर ! तुम तनिक विराम ले लो दीपों का उत्सव आने को है अमावश्या की सघन कालिमा फिर से चहूं ओर छाने को है अवकाश पर होंगे …
ये दिवाली, वो दिवाली घर में खुशियाँ, लाये दिवाली ! बम चकरी, और फूलझरी सब से ये, बजवाये दिवाली !1! सबको पास, बुलाये दिवाली अपनों को, मिलवाये दिवाली ! …
हर घर, हर दर, बाहर, भीतर, नीचे ऊपर, हर जगह सुघर, कैसी उजियाली है पग-पग? जगमग जगमग जगमग जगमग! छज्जों में, छत में, आले में, तुलसी के नन्हें थाले …