Tag: गरीबी पर कविता
शहर के बड़े-बड़े घर तोड़ रहे है गाँव-देहात के छोटे -छोटे लोग शहर में फिर से बनेगा बड़े -बड़े घर छोटे छोटे लोगों की हाथों से छोटे छोटे लोग …
दो पत्थरों की टक्कर से या दो डाली के घर्षण से आग तो निकेलेगा ही पर मनुष्य के खाली पेट पर भी आग जलता है इससे सबका नुकसान होता …
एक ग़रीब का अकेलापन उसके ख़ाली पेट के सिवा कुछ नहीं अपनी दार्शनिक चिन्ता में दुहराता हूँ मैं यही एक बात