Tag: हास्य कविता
(ताटंक छंद आधारि) कोई गोरी ऐसी मिले *** कोई गोरी ऐसी मिले जो, मेरे दिल की रानी हो चतुर चपल चंचल हो चितवन, सुंदरता की नानी हो, देव लोक …
मैं पल दो पल का नेता हूँपल दो पल मेरी गद्दी हैपल दो पल मेरी सत्ता हैपल दो पल मेरा बुढ़ापा है मैं पल दो पल का नेता हूँपल दो …
ज़िन्दगी इतनी बड़ी पहेली न होती….गर कवि न होता….सीधा न सोचता न सोचने देता….अच्छी भली राहों को ऊबड़ खाबड़ कर देगा…साफ़ पगडंडियों पे कांटे उगा देगा…न जाने दिमाग कैसा …
एक नेता बड़े चाव सेसब्जी – रोटी खा रहा थारहा नहीं गया हमसेतो पूछ ही डालानेता जी चारा खोरी का इल्ज़ाम था आप पर तोफिर सब्जी – रोटी कैसे …
हम भी तेरे इश्क में पागल हे भाईतेरे इश्क के सामने मेरा इश्क फिखा हे भाईतू मेरी जान ये बताऊ केसे मेरे भाईआज कुछ लम्हे याद आये जो तेरे …
उठे जब एक रोज़ हम ,बड़ी लम्बी -गहरी नींद से ,देखा फिर अपने आस पास ,यूँ ही कुछ देर ख़ामोशी से ,देख कर एक अजीब सा माहौल ,अटपटी सी …
बच्चे से मैं प्रौढ़ हो गया जाना जीवन जंजाल है इंसानी फितरत में देखा बस एक दाल रोटी का सवाल है कोई भी चैनल खोलो तो बेमतलब के सुर …
यह राजनीति भी कैसी राजनीति है….बिना सर पैर सरपट भागती है….मुद्दे सब पीछे छूट जाते हैं…जनता भौचक्की ताकती रह जाती है….इलेक्शन आते ही नेताओं के ज्ञान चक्षु खुल जाते …
बचपन में हम गए एक मेले में….बन-ठन ठुम्मक ठुम्मक ठेले में….हर तरफ थी खूब चहल पहल…लोग भी थे बड़े रंग बिरंगे से…कोई लाल कोई पीला…..हम थे नीले में..हर तरह …
कल शाम टी वी देख बड़ा आनन्द आ रहा था मोर पंख धारी लालू सुत बाँसुरी बजा रहा थाकलयुगी कृष्ण का लगा अवतार फ़िर हुआ है विवेकी जनों को …
कौन सी यह नयी भावना, मन में पाँव पसारे रे |अनकही सी अनछुई सी, जग क्या इसको पुकारे रे |मन का कोई कांच टूटा, आँखें सुनामी लाये रे |कैसा …
वो तो सबकुछ ठीक है, एक बात बताओ, तुम मुझसे इतना लडती क्यूँ हो ? जवाब आया :- “प्यार भी तो बेशुमार तुमसे करती हू” मैं चुप:- …………………………… नतीजन …
शिकायत लबों पर अक्सर, उनके रहती है, के हमें प्यार करना नहीं आता, दिल भी दे दिया, जान भी दे दी, फिर भी कहते है , के हमें प्यार …
रक्षाबंधन का दिन हैं और राखी बँधवाने जाना हैं बहन तक पहुँचने को मगर जामो से पार पाना हैं कितनी भी मुश्किलें आए हम भारत के वासी हैं इन्हीं …
मितरो जब से मेरी शादी हो गई है बेमतलब की एक बर्बादी हो गई हैं सोचा था मौज मनाऊंगा जी भर के मगर मेरी शांति भी आधी हो गई …
ख़्वाहिशें भूल कर, ख़्वाबो से दोस्ती कर, अँधेरे पास ना आएंगे, चरागों से दोस्ती कर | घूमते हैं यहाँ ..नकाब पहने लोग, तू दिल को देख न चेहरो से …
रोज सुबह घडी के बजते ही सात , शुरू शीतलेश की भागम-भाग , एक कॉपी , पेन लिए हाँथ , शीतलेश चला कविता लिखने। जब बैठे लिखने तो सोचे …
चौबीस घंटों के चैनल हैं पूरे दिन कुछ तो कहना हैं जनता को बहलाने को नई नई बातें गढ़ते रहना हैं सही विषय पर काम के लिए पूरी मेहनत …
सच है यारों शादी के बाद अपना राज चलाती बीबी चाहो न चाहो सिर पर काटों का ताज सजाती बीबी जो बनते हैं बब्बर शेर उनको बंदर सा नचाती …
मनोविनोद …… सुना है जोडियाँ स्वर्ग मे बनती है, अगर यह वास्तविकता है तो…… वजिब है वहां भी हो घोटालो और रिश्वत का बोलबाला …। क्योकि——->>> हमने तो jयहां …
एक पुरानी रचना …………. नए दोस्तों के लिए शर्मा जी का कुत्ता शर्मा जी आप इन्सान तो बहुत भले हैं, फिर ये कुत्ता पालने क्यों चले हैं ये रात …
काशी सर्व विद्या की राजधानी यहाँ पढ़ कर लोग बन जाते विद्वान् मै भी पढूँ काशी में, किसी ने दिया पिता जी को ऐसा ज्ञान।। पिता जी के अरमानों …
एक दिन कोई फिल्म, देख रहा था टीवी पर। अचानक ध्यान गया घर में घुसती बीबी पर।। अभी अभी वो चली आ रही थी बाजार से। क्या देख रहे …
बचपन मे एक बार मै पहुचा दिल्ली अपने सगे चाचा के पास। दुआ सलाम हुआ हमारे बीच पर मैने पाया उन्हे गम्भीर उदास।। शादी के दस सालों मे एक …
यूँही दर रहा जनसख्या वृद्धि का हम सब जल्द बेघर हो जायेंगे जब सोने को जगह नहीं मिलेगा तब खड़े खड़े हनीमून मनाएंगे गरीबी भुखमरी व बेकारी का जनसख्या …