Tag: कुन्डली
बाजी तेरी फ़िर पड़ी, होगी तेरी जीत । ये फँसे हैं भोग से, पड़े करो परतीत ।। पड़े करो परतीत दाव पड़ गए पौबारे । चीढे हैं जुग चार …
बाजी खर होते नहीं, चाहे खाय कपूर । यम नजाद बदलें नहीं, है ये बात जरूर ।। है ये बात जरूर, तुखम तासीर सही है । समझदार ने बात …
बंधन तो कट जायेंगे, जो लायकवर होय । नालायक के सौ गुरु, भरम सकैं ना खोय ।। भरम सकैं ना खोय गुरु पूरे भी होवैं । बेल कहाँ से …
फँस रही है बेदाव में, दाव बिना लाचार । पाँचों पँजों में पड़ी, आठों आठों सार ।। आठों आठों सार दाव देता ना फाँसा । बाजी बीती जय फुसे …
पावैं शोभा लोक में , जो जन विद्यामान । जिन विद्या बल हैं नहीं, सो नर भूत मसान ।। सो नर भूत मसान पशु पागल परवारी । बिन विद्या …
पापी के कोई भूलकर, मत ना बसो पडौस । नीच जनों के संग में, निर्दोषी गहें दोस ।। निर्दोषी गहें दोस, दोस देते दुःख भारी । बिगड़ जाय दो …
देखे न इस जगत में, बिन तमा के भेख । असली भेखी न मिले, भेख लिए सब देख ।। भेख लिए सब देख मिले भेखों में भेखी । जो भेखों …
देखा देखी जोग से जोगी रोगी होय । कर्म-ज्ञान को त्याग कर, महा कुयोगी होय ।। महा कुयोगी होय उभय लोकों से जावै । गिर गए कच्चे फूल फेर …
तोड़े जाल अनादि ये भरम, भये दुःख दूर । दया करी गुरुदेव ने दिये ज्ञान भरपूर ।। दिए ज्ञान भरपूर पुण्य अरु पाप लखाये । गंगादास परकास भय दुई …
तेरे में, मुझमें, तुझे, यही एक है जाल । दुई इसी में फंस रहे, राजा अरु कंगाल ।। राजा अरु कंगाल, दुई दोजख में गेरे । जहाँ दुई ना …
तेरे बैरी तुझी में, हैं ये तेरे फ़ैल । फ़ैल नहीं तो सिद्ध है, निर्मल में क्या मैल ।। निर्मल में क्या मैल, मैल बिन पाप कहाँ है ? बिना पाप …
तेगा ले गुरु ज्ञान का, राम भक्ति की ढाल । धर्म तमंचा बाँध ले, कदी लुटै ना माल ।। कदी लुटै ना माल पडे डाका ना तस्कर । बेखटकै …
टूटी चोंच कुसंग से, सुआ भये उदास । आए थे कुछ ब्याज को मूल बी कर लिया नास ।। मूल बी कर लिया नास बड़े धोके में आए । …
जो पर के अवगुण लखै, अपने राखै गूढ़ । सो भगवत के चोर हैं, मंदमति जड़ मूढ़ ।। मंदमति जड़ मूढ़ करें, निंदा जो पर की । बाहर भरमते …
चेले चातुर करें क्या, जो गुरु हों मतिमन्द । आप फंसे मोह जाल में, ओ क्या काटें फ़न्द ।। ओ क्या काटें फ़न्द फँसे माया में डोलें । बँधे …
चारों चारों युगों से, सुखदायक हैं चार । दया, सत्य, अरु संत ये, चौथा पर उपकार ।। चौथा पर उपकार चार साधन सुखदाई । जो ये धन ले साध …
गाओ जो कुछ वेद ने गाया, गाना सार । जिसे ब्रह्म आगम कहें, सो सागर आधार ।। सो सागर आधार लहर परपंच पिछानो । फेन बुदबुद नाम जुड़े होने …
केसर के सतसंग में, बसी रहे चाहे रोज । प्याज-बास जाती नहीं, चाहे सो करले चोज ।। चाहे सो करले चोज नीच ऊँचे ना होवैं । खर तुरंग ना …
ऐ अविनाशी ! आपका, जन्म नहीं, ना नास । सदा एक निर्भय अचल, भगवत सर्व-निवास ।। भगवत सर्व-निवास विषय बानी ना मन के । नर तन धारण करो हेत हरि …
उल्लू को अचरज लगै, सुन सूरज की बात । अन्ध होत दिन के उदय, देते दिखाई रात ।। देते दिखाई रात रवि को मिथ्या मानै । औरों को कह …
उजर नहीं है आपसे, बेचो या लो मोल । हाथ आपके नाव है, बांधो या दो खोल ।। बांधो या दो खोल पशु हैं आज तुम्हारे । जो चाहो …
आता न उस वक़्त पै दारा सुत धन काम । रुका कंठ, धरके कहें, अब तुम बोलो राम ।। अब तुम बोलो राम पति ! पत्नि हूँ तेरी । कैसे …
अन्तर नहीं भगवान में, राम कहो चाहे संत । एक अंग तन संग में, रहे अनादि अनंत ।। रहे अनादि अनंत, सिद्ध गुरु साधक चेले । तब हो गया …
अन्ना ने जब से लिया, अनसन का आधार राजनीत में चढ गया, ऐसा पारावार ऐसा पारावार, नित नये हुए बखेङे सबके अपने राग, गर्क जनता के बेङे नीरज करो विचार, …