आई होरी की बहार Kailash Pareek Khandela 03/03/2015 शिवदीन राम जोशी No Comments आई होरी की बहार, अहो ! होरी की बहार । हाथ हाथ में है पिचकारी, रंग है पारावार ।। कृष्ण कन्हैया झूंम झूंम कर, खेल रहे हैं होरी, राधे … [Continue Reading...]
मोहन खेल रहे हैं होरी / शिवदीन राम जोशी Kailash Pareek Khandela 02/03/2015 शिवदीन राम जोशी No Comments मोहन खेल रहे है होरी । गुवाल बाल संग रंग अनेकों, धन्य धन्य यह होरी ।। वो गुलाल राधे ले आई, मन मोहन पर ही बरसाई । नन्दलाल भी … [Continue Reading...]