Tag: प्रेम
कैसा ये सावन आया, मुझको अबकी ना भाया, बारिश की इन बूंदों ने जी भर मुझको तड़पाया ।। बागों में कोयल बोले, कानो में मिश्री घोले, अमवा की …
फूल वो सुख नहीं देता जिसकी खुशबू में खामी है तुम आगे बढ़ नहीं सकते अगर मन में गुलामी है भले कांटें अनेकों हैं महकते गुल की सोहबत में …
मैं पतझड़ की पाती, तुम हो उपवन का फूल ! दे देना हमको माफ़ी, जो हो जाए हमसे भूल !! मै गाँव का देशी छोरा तुम ठहरी शहरी मेम, …
चमक कम न हो *** चाँद से रोशन चेहरे की चमक कम न हो, झील सी गहरी ये आँखे कभी नम न हो, बहारों की फिज़ाओ में दमकता ये …
दर्द कोई पल रहा हो दिल में गर इंसान के फिर तुम्हें हरदम दिखेगा वो बिना मुस्कान के हर तरफ बिखरा पड़ा है घोंसला वो प्यार का दिख रहे …
कौन है जिसको यहां ना प्यार की दरकार है गर मुहब्बत ना मिले ये जिंदगी बेकार है जो अकेले चल रहे हैं मंजिलों की खोज में थक गए उनके …
अब याद आएगी तुमको फिर से हमसे सुलह की जब तक रहे साथ हम तुम चिंता नहीं थी फतह की जन्नत का कोना हो चाहे घर हो खुदा का …
मुद्दत हुई जब मिलोगे कुछ तो बताओगे मन की तुम्हें याद करनी पड़ेगी हर बात अपने वचन की सीने में कांटे गड़े हैं लेकन ना मैं रो रहा हूं …
यूं ही नहीं हम परेशां ये सब तुम्हारा असर है मिलना मिलाना हुआ है लेकिन अभी भी कसर है तुम दूर बैठे हो छुप के आते नहीं सामने अब …
अपनी क्या तुमको बताएं मुश्किल से दिन कट रहे हैं बिन तेरे लम्हें सुकूं के जीवन से नित घट रहे हैं जाने पसीजो के फिर तुम या यूं ही …
हर घड़ी तुझे ढूंढते हैं रूह की ये प्यास है तू बता कैसे कहें तुझ सा ना कोई खास है और कुछ मिलता नहीं तो खुद को समझाते सुनो …
जुदाई कब किसी को दर्द की दुनिया में लाएगी ये कुदरत जान लो तुम को कभी भी ना बताएगी मुहब्बत का यही है आईना संसार में सुन लो गैर …
तुमसे जुदाई लम्बी हुई है मिलने की फिर से कोशिश करो ना दुनिया तो ताने देती रहेगी इतना भी इससे सुन लो डरो ना मुद्दत से मेरी झोली है …
अब दूर तुमसे रहूं मैं ये ही सही बात होगी अगले जन्म में ही देखो अपनी मुलाक़ात होगी गुजरा है बारिश का मौसम नभ पे भी बादल नहीं हैं …
खुशबू तुम्हारे बदन की रह रह के तंग कर रही है चुप्पी तुम्हारी सुनो पर मुझको तो दंग कर रही है मन में है तस्वीर तेरी यादों में तेरा …
तुझसे मिली है मुहब्बत तू ही मेरा मीत है सुनतू है अगर साथ मेरे हर चीज में जीत है सुन गाता हूं जिसको हमेशा मन में उमंगों को भर …
देखो तुम्हारी वजह से कुछ तो मुझे भी मिला है बंजर सी भूमि में दिल की महका कुसुम एक खिला है ये जिंदगी का सफर है कटता नहीं है …
माना कठिन समय है इंसान डर रहा है तेरी याद के सहारे हर दिन गुजर रहा है ना शोर है कहीं अब बैठे हैं सब घरो में हर चीज …
तुमको पुकारते हैं मन में दिया जला केमुझ को बचा लो देखो नेहा का रस पिला केयूं तो हसीं हैं लाखों तुम सा कोई ना देखालगते हो खूबसूरत तुम …
तुमने जख्म जो दिए हैं देखो वो भरते नहीं हैं मेरी भी शिरकत है इनमें इंकार करते नहीं हैं मुहब्बत की आदत है जिनको हर एक गुल से चमन …
वो प्यार भी करे है मगर कहने में लाज है बदला हसीं ना अब तलक तेरा मिजाज है मुंह से कभी कहा नहीं दुनिया के खौफ से आंखों से …
उलफत ना तुम तलाश करो कहते ये लोग हैं खुशियों की चाह में यहां मिलते वियोग हैं जड़ से खत्म ना हो सके कोशिश करीं कई दुनिया से पूछ …
आगोश में था जो कभी मुझसे वो दूर है उलफत उसी से हो गई अपना कुसूर है तारीफ़ कर के मैंने उसे रब ही बना दिया आंखों से मेरी …
मुहब्बत है अगर असली तन से खुशबू सी आती है कोई नस नस में बहता है बिखर फिर ये जताती है मुहब्बत है मुझे उससे समझना है नहीं मुश्किल …
यूं तो हसीं हैं लाख पर तुझ सा ना कोई है तुझसे मिलन की आस फकत मैंने संजोई है ये मेरी गजल देख लो कुछ भी नहीं है बस …