Tag: बाल कविता
पिता पर कविता
गर्मियों की छुट्टियां +++ मई जून का जब महीना आयाबाल गोपालो का मन हर्षायापढ़ाई-लिखाई से मनवा रूठाटीचर की डाँट से पीछा छूटा !! अब सुबह न जल्दी उठना …
नादान परिंदे ***♣*** क्या कल के भारत की तस्वीर बनेगी, ये तो गुजरा वक़्त ही बतलायेगा पहले हमको हमारा आज दिला दो, तब कल का हिन्दोस्ताँ बन पायेगा …
मौसम गर्मी का सूरज ने जब दिखलाई हेकड़ीतरबूज बोला फिर मुँह फुलायेतू करेगा जितना ज्यादा तंगभाव मेरा उतना ही बढ़ जाये !!खीरा, ककड़ी, और खरबूजासब मेरा ही परिवार कहलायेगर्मी …
एक मुट्ठी में सूरज का गोलाएक में लेकर चाँद सलोनाखेलने निकले हम अम्बर पेकरके सितारों का बिछोना !हम बच्चे है मस्त कलंदर, काम है हँसना रोना !!बिना पंख के …
मन मेरा इत उत भागे रे….उड़ जाए बदली बन कभी…कभी चाँद सा झांके रे….जंगल में सबने क़ानून बनाया…दुश्मन भी जिसने दोस्त बनाया…बिल्ली मौसी के घर शादी…चूहा दूल्हा बन नाचे …
कौन सी यह नयी भावना, मन में पाँव पसारे रे |अनकही सी अनछुई सी, जग क्या इसको पुकारे रे |मन का कोई कांच टूटा, आँखें सुनामी लाये रे |कैसा …
जीवन का आधार है बेटी सुख शक्ति संसार है बेटी बदल देती जो दुनिया को ऐसा एक बदलाव है बेटीअत्याचार करो नही इनपे दुर्गा की अवतार है बेटीबोझ नही …
‘अ’ से अमरूद ‘आ’ से आमरघुपति राघव राजा राम।।करते जाना अच्छे कामइक दिन होगा तेरा नाम।।’इ’ से इमारत ‘ई’ से ईखदेख छिपकली निकली चीख।अच्छी बातें जाओ सीखयाद रखो सब …
छुक छुक करती आई रेल और मचा फिर ठेलम ठेल।। हुई व्यवस्था सारी फेल। चढने में हम जाते झेल। यात्री करते भीषण शोर लगा रहे सब अपना जोर। कुली …
हैप्पी बर्थ डे सृष्टि आज ११/०९/२०१६ को मेरी प्यारी गुडिया सृष्टि का जन्म दिन है जो की आज पांच वर्ष की हो रही है | उस नन्ही परी के …
“मेरी किताब” किसी के लिए महज पन्नो की गठरी, तो किसी के लिए कागज का टुकड़ा है किताब, पर मेरे लिए तो मेरी दोस्त है मेरी किताब, कोई कहता …
ताटंक छंद प्रथम पंक्ति -16 द्वितीय पंक्ति 14 पदान्त मे 3 गुरु मेरे आँगन में इक चिड़िया चीं-चीं करती आती है। पंचम सुर में गीत सुनाकर मुझको रोज जगाती …
मम्मी पापा की चाहत मै इन्जिनियर डाक्टर बन जाऊ पर कोई मुझसे ना पुछे, मै क्या बनना चाहूँ फूलों पर तितलियाँ इतरायें इठलायें पास आती देख मुझे पल भर …
झगडे फसाद की जड है जुबां का लहजा।. मोहब्बत बेपनहा बढाता है दिलो मे लहजा।. सिर्फ लहजे से कई महात्मा बन बैठे है आज।. इसी के दमपे पाखंडीयों ने …
बाल कविता
माँ कह रही बैठ सिरहाने उठ जाओ मेरे लाल, देखो सवेरा हो गया! टेशू फूलों पर तितलियाँ सहकी भ्रमर गुंजन से कलियाँ बहकी बागों में कूकू कोयल कहकी मोर …
*बाल कविता(चौपाई छंद)* प्रज्ज्वल, रिद्धि नाम हमारे। हम हैं बच्चे मन के न्यारे।। मम्मी की आँखों के तारे। पापा को प्राणों से प्यारे।। मम्मी हमको सुबह जगाती। ब्रश करवाकर …
बिटिया की खुवाइशों को गीत में ढ़ालने की कोशिश ……………… पापा पापा पापा, चिज्जी ले आना | जाओ जब बाजार, चिज्जी ले आना || टॉफी चाकलेट ज्यादा, तुम ले …
नटखट चंचल शर्मीली सी , मूरत सी सुन्दर प्यारी सी | मम्मी की पापा की भोली सी , छोटी है गुडिया कोमल सी || नटखट चंचल शर्मीली सी …………… …
-: मेरी माँ :- मुझे इंतजार है अब, उस पल का, जब माँ से मेरी मुलाक़ात होगी । सच कहता हूँ – मानो उस वक़्त, जन्नत पास मेरे होगी …
बचपन यह कैसा था बचपन बस खेलना और खाना कभी पेड़ पर चढ़ना तो कभी नदी में कूद जाना कभी यह न सोचना कि माँ को कभी न सताना …
सारे जग मे अपनी पहचान बनाना है, फूलों से कलियों से मुस्कान चुराना है। ग़म की वादी को हम खुशियों से सजाएगें, हर दिल मे मोहब्बत का एक फूल …
काहे का बाल दिवस ….. जब तक हर बच्चा स्कूल जाता न हो अमीरो के घरो में काम कराना बंद न हो बाल मजदूरी देश में पूर्णतया बंद न …
बच्चो की दिवाली !! जब तक न हो कोई शरारत नहीं बनती बच्चो की दिवाली पडोसी के द्वारे बम न फोड़े तब तक कहाँ लगती दिवाली !! आस पास …