Tag: जिंदगी पर कविता
सच्चाई एक छत्ता हैहमें चुन – चुन के रस भरना हैखट्टे मीठे तीखे कसैले हैं सब रंग तू तय करले तुझे कौन सा स्वाद चखना है सच्चाई…. Оформить и …
दिखने में तो इंसान हूँ ,मगर क्या वास्तव में इंसान हूँ ?न दिल अपना ,न दिमाग अपना ,जो जिधर कहे वहीं चला जाता हूँ ।कभी गाँव से शहर की …
थक गया हूं चलते – चलते मेरा घर क्यों नहीं आता.ऐ जिंदगी मेरा बसर क्यों नहीं आता.सो जाता हूं लिपटकर उन पुरानी यादों से – आज सब कुछ मिल …
आज़ादी ! आज़ादी !आज़ादी !,बस रट लगा रखी है ‘आज़ादी ‘।इस लफ्ज की गहराई जानते हो ?आखिर क्या है यह आज़ादी ?ऊंची सोच और विशाल ह्रदय ,सयमित जीवन है …
लबों पर तो है तबस्सुम ज़रा सा मगर,दिल है ज़ख़्मों से भरा हुआ इस कदर ।गम-ए -दाग दिखा सकते हैं भला किसे? ,कोई हमदम नहीं है हमारा न हमसफर …
इतिहास उसी को पूजेगाजो सबसे जा कर नही पूछेगाजो ठान लिया अपने मन मेउस लछ्य मे खुद को सीचेंगाइतिहास…………जो हार से न डर जाता होजो थोड़े मे न घबराता …
पुरुष शक्तिशाली या नारी,कोन किसपे परे है भारी,ये बहस तो चलती आयी है,सदियों तक चलती भी रहेगी।मेरा अनुभव तो कहता है,पुरुष भी मन से कोमल होते,अपने हर रिश्ते को …
कितने ही ज़माने गुज़र गए ,मगर हम तुम्हें ना भुला पाए.तेरी तस्वीर पर सजदा किया,तेरी याद में दो अश्क बहाए.तेरे गीतों को जब सूना तो,कई मंज़र आखों के रूबरू …
रिश्तों के मायने जो समझ गया,जीवन जीना उसे रास आ गया।साथ जो मिले अपनो का यहाँ,बदला मौसम भी देखो भा गया।अनजान था सबसे महफ़िल में,मीठे दो बोल से वह …
भूख *** ये भूख जाने कैसी है, मिटती नहींतन-मन को तृप्ति, मिलती नहींजो जितना अधिक पा जाता हैचाहत फिर दोगुना बढ़ जाता हैकोई दो जून भरपेट को तरसता हैकही …
दर्द देती है, फिकी है कभी,फिर हसना भी सीखा रही,ज़िन्दगी से शिकायत कैसी,वह तो जीना ही सीखा रही|जुदाई है, गम देती है कभी,पर हर पल साथ निभा रही,ज़िन्दगी से …
यह झूठा दिखावा क्यों ? ( कविता) आदर है या नहीं अपनी माँ के लिए दिलों में , मालूम नहीं ! मगर दिखावा तो करते हो . साल भर …
गलत या सही मापने का कोई पैमाना नहीं,पर मुश्किल होती, जब सिमित रख दायरा,अपनी समझ को ही, सब बस माने है सही।सब कुछ अपने हिसाब से हो यह जरुरी …
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по …
घर भरा रहता था, रिश्तेदारों से कभी,समय के साथ बदले मायने, दूर है सभी।लगे है भूलने रिश्तो की मर्यादा सब,निभाने की इन्हें फुर्सत भला कहाँ अब?अखरने लगा बड़ो का …
गुरुर किस बात का करते हो तुम,गुरुर किस बात का करते हो तुम,आज अगर हो मिट्टी के ऊपर तो,कल हो जाओगे मिट्टी में विलीन|वक़्त निकाल, अपनों से करो बाते …
रोज़ हो रहा चीरहरण,पर बचाने, कोन है आएगा?उठो, बनो वीरांगना, खुद को ही सम्भलना होगा,मूक बने इस समाज में खुद को ही बचाना होगा|इस समाज से क्या उम्मीदें रखनी,जो …
इंसानी फितरत @ अपने पराये के फेर में दुनिया रहती हैइंसानी फितरत है ये मेरी माँ कहती हैहर दुःख दर्द का इलाज़ है आत्ममंथनकहने को भावो में तो दुनिया …
रुआना आ गया ! कागज़, कलम, दवात, डायरी के पन्ने,ये सब तो अब बीते ज़माने कि बाते हैव्हाट्सप्प, ट्वीटर, फेसबुक, भी छोडोवीडियो कॉलिंग का ज़माना आ गया ! कुछ …
-: कुछ लम्हें –कुछ पल :-उसने धीरे से बेड से उठते हुएफुसफुसाकर कहा मेरे कान मेंक्या तुमको वो लम्हा याद है,जब हम मिले थे पहली बार अनवर चाचा की …
सुख दुख जो निज मन के खुलकर नहीं बताता ऐसा इंसा कभी किसी का सहचर नहीं कहाता जो सौंप दे बस तन को और मन को नहीं सौंपे ऐसी …
मै अबला नादान नहीं हूँदबी हुई पहचान नहीं हूँमै स्वाभिमान से जीती हूँरखती अंदर ख़ुद्दारी हूँमै आधुनिक नारी हूँपुरुष प्रधान जगत में मैंनेअपना लोहा मनवायाजो काम मर्द करते आयेहर …
बड़े प्यार से स्कूल भेजा, माँ ने अपना दुलारा lनहीं जानती थी, नहीं अब वो आएगा दुबारा llबेफिक्र थी ये सोचकर वो स्कूल पहुंच चुका है lनहीं पता था …
कोन तय करेगा हद क्या है,मेरे,चलने की,खाने की,बोलने की,हँसने की,घूमने की,कपड़ो की,मैं या मेरे अपने या यह समाज,क्यों हम इतना सोचते हमेशा,लोग क्या कहेंगे,या फिर, समाज क्या कहेगा?कोन है …
दिलों के बीच अगर, फासले आ जाते हैरिश्ते भी तब हाथ से, फिसलने लग जाते हैरिश्तों को अगर है संभालना,एक दूसरे का मान तब रखना,एक बार दरार जो पर …