Tag: hindi kavita
अमर भारती वसुन्धरा की शान हमारी हिन्दी है |देश धर्म शासन सत्ता की जान हमारी हिन्दी है ||प्रलयंकर शंकर डमरू से निकली भाषा हिन्दी है|अमर शहीदों के साहस की …
न रूकता है ना थकता है ये शहर समुंदर का किनारा अच्छा लगता है दिलाें मे सभी के बेचैनी है हर डगर यहॉं वक्त के पिछे दाैडना पडता है …
आज कल लोग पूछते हैं कैसे हो तो मैं बस हँस देता हूँ जो उनको भेजे सवाल का जवाब ना मिले तो मैं बस हँस देता हूँ हर नज़र …
भारत एक सूरज जो जलकर दे दुनिया को प्रकाश।भारत एक दार्शनिक जो पर्यटकों को मन वैहलाये ।भारत एक गुरु जो दे दूसरों को शिक्षा।भारत एक वृक्ष जो दे दूसरों …
हद से गुजरते है *** जीने की चाहत में हद से गुजरते हैमौत की आहट में जद से गुज़रते हैहर दिन एक नया शगूफ़ा राह अटकें,नेक से लेने बदला …
क्यों चाह रहा मरू-भू में प्रेम के अगणित फूल खिले,क्यों चाह रहा सूखे सर में जीवन की कुछ बूंद मिले,निस्तेज प्राण को हर लेने बैठा है कोई यहाँ कब …
जबसे तुम गये हो लगता है की जैसे हर कोई मुझसे रूठ गया हैहर रात जो बिस्तर मेरा इंतेजार करता था,जो दिन भर की थकान को ऐसे पी जाता …
-: कुछ लम्हें –कुछ पल :-उसने धीरे से बेड से उठते हुएफुसफुसाकर कहा मेरे कान मेंक्या तुमको वो लम्हा याद है,जब हम मिले थे पहली बार अनवर चाचा की …
-: :- -: अधूरा रह गया :-गुजरे जमाने को मैं बस याद करके रह गयावो मेरे घर आया और मैं बिन मिले ही रह गयाकहते है गूंजी थी बेबाक …
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दीवाना मैं हूं कौन है दीवानी बताओ मुझेलिख रहा हूं किसकी कहानी बताओ मुझेबहोत तेज़ बज रहे हैं घुंघरू तवायफों केबर्बाद हुई है किसकी जवानी बताओ मुझेथक गए क्या …
कैसे जान पाओगे मुझको अगर तुमने प्रेम नही कियातो कैसे जान पाओगे मुझकोकिसी को जी भरकर नही चाहाकिसी के लिए नही बहायाआँखों से नीर रात भरकिसी के लिए अपना …
मगर, वह है कि नहीं आती (भाग-4)03.07.2017: के कुछ और दास्तान:(1).मैंने देखा, विदाई के दौरान पहली बार मेरे ही सामनेएक बुलबुल ने निगल लिया अनार के तीन-चार दानेलगता है …
(‘मगर, वह है कि नहीं आती’ के बाद)भाग-2(07.06.2017) कुछ दिनों बाद: वो बुलबुल फिर से खाली पड़े कमरे में आने लगी थीपुराने घोंसले पर बैठ जाती मन को मेरे …
*ख़ुदा उनके, वे ख़ुदा के क़रीब रहते हैं*इल्म व आमाल से, जो हैं रोशनजिंदा हैं वे, जिंदग़ी है उनकीवाज़ करते हैं जो सीधी राहों कीऔर जो खुद उन पे …
*इम्तेहान*कंपकंपी आने लगती हैदिमाग करता नहीं है काम माथे से पसीना छूटने लगता हैजब आता है इम्तेहान का नाम ; जिंदग़ी में एग्जाम के कई पर्चे होते हैं, जैसे- …
…भाग -१…वाह रे इंसानकहां पहाड़-समंदर-गहरी खानछोटा-सा कद, पर लेता है सबको छानआकाश छू लेने का पाले रहता अरमान!प्रतिफल है उसकी प्रबल इच्छा-शक्ति कादुनिया भर का हर अद्भुत-नया साज-सामानतल्लीन-तपस्वी-तत्पर है, …
** ऐसे रिश्ते ** एक लड़के की, एक लड़की सेएक मर्द की, एक ग़ैर औरत सेअगर बेसाख्ता गहरी दोस्ती होती हैअगर बेसाख्ता सखा-सखी होती है;अगर उनमें हंसी-मजाक होते हैंमान-मनौव्वल …
हमने देखा, चोरों की बस्ती में मस्ती बहुत थीथोड़ा सहमे, सुर में सुर हम भी मिलाने लगे थे;तमाशाई बने पहले तो, दूर-दूर ही हम खड़े थे जाने कब, गीत …
मेरे ख्वाब कभी जो पास तुम्हारे आते चुपके से उनको तुम अपने पास सुलाते धूप शहर की तेज बहोत थी फिर भी हम बच जाते गर तुम गगरी में …
तेरे साथ रहता था मैं बादशाहों की तरह। फ़कीर हो गया हूँ तेरे जाने के बाद। रात भर जागता रहा ख्वाबों की तलाश में। नींद आयी भी मुझे …
बहुत मुश्क़िल हैबेलगाम नौकरशाही कोपटरी पर ला पाना।बहुत मुश्क़िल हैकिसी से, बिना दबाव केनुक़्ते भर का सुधार करवा पाना।बहुत मुश्क़िल हैगर्दिश में पड़े हुए रिश्ते परप्यार का रंग चढ़ा …
(प्रसंग: चंद रोज़ पहले, एक video viral हुआ था, जिसमें एक बंदर, एक बच्चे को एक मस्जिद/ मदरसे में बार-बार झुकने पर मज़बूर कर रहा था। समाज में ताक़त …
मंज़िल-ए-मक़सूद से जब आदमी भटक जाता हैढूंढ़ता रहता है, तड़प जाता हैसही राह नहीं पाता है।चलता है अनजान राहों परख़ुद को अकेला पाता हैहर मंज़र पर नज़र आते हैंकई …
वह सोचता है-‘मैं खूबसूरत हूँ जवान हूँ, महान हूँ’; वह सोचती है-‘मैं बेहतरीन हूँ हसीन हूँ नाज़नीन हूँ ‘।******जब,उम्र के आईने में, वे झांकते हैंनिकल पड़ती है, उफ़ लबों …