Guru par kavita

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हाथ पकड़कर जिसने
मुझे पढ़ना-लिखना सिखाया
भाषा-अक्षर का बोध
जिसने मुझे कराया
दुनिया के साथ कदम मिलाकर
जिसने चलना सिखाया
जिसने की मेरी जिन्दगी शुरू
वो है मेरे आदरणीय गुरु

खेल-खेल में हमे पढ़ाते
अच्छी-अच्छी बातें बताते
मेरे हर सवाल का
तुरंत जवाब बताते
मेरी हर उलझन को
वे तुरंत सुलझाते
जब करता हूँ कोई गलती
तो मुझे प्यार से समझाते
कभी-कभी तो वे
मुझे डांट भी लगाते

जब अपनी असफलता पर
हो जाता हूँ निराश
तब एक दोस्त बनकर
मेरा हौसला बढ़ाते
दुनिया में आगे बढ़ाने को
हमेशा कुछ नया सिखाते
प्रेरक कथाएँ सुनाकर
मेरा आत्मबल बढ़ाते

आज में जो कुछ हूँ
बस उनका है हाथ
इसी तरह बना रहे मुझ पर
मेरे गुरु का आशीर्वाद

Sahitya Hindi
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One thought on “Guru par kavita

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