गीतिका – अभी तो सूरज उगा है.
प्रधान मंत्री मोदी जी की कविता की पंक्ति से प्रेरणा पा लिखी गीतिका।
अभी तो सूरज उगा है,
सवेरा यह कुछ नया है।प्रखरतर यह भानु होता ,
गगन में बढ़ अब चला है।अभी तक जो नींद में थे,
जगा उन सब को दिया है।सभी का विश्वास ले के,
प्रगति पथ पर चल पड़ा है।तमस की रजनी गयी छँट,
उजाला अब छा गया है।उड़ानें यह देश लेगा,
सभी दिग में नभ खुला है।भवन उन्नति-नींव पर अब,
शुरू द्रुत गति से हुआ है।गया बढ़ उत्साह सब का,
कलेजा रिपु का हिला है।‘नमन’ भारत का भरोसा,
सभी क्षेत्रों में बढ़ा है।