Tag: चोका
जिक्र से ही जिसके दिल रोशन होंगा ।. लफ़जो से बयां न उसका ताअरुफ होंगा । मर्जी से ही उसके सब कुछ होंगा ।. फिक्र किस बात की देंगा …
Sher or shayri, kavita, dard bhare sher, sandeep
डॉ०भावना कुँअर बरसों बाद मेरे मन आँगन महका प्यार झूम उठा आसमां खिला संसार। मन की कलियाँ भी खिलने लगी चेहरे पे रंगत दिखने लगी कोयल की आवाज़ वर्षा …
डॉ०भावना कुँअर कहाँ से आए ये उड़ते-उड़ाते याद परिंदे हम कैसे बताएँ । भीगी पलकें उदासियों का चोला पहने बैठीं चुपके से आकर देखो तो जरा हवाओं के …
डॉ०भावना कुँअर नन्हीं -सी परी गुलाब पाँखुरी सी आई जमीं पे झूम उठा आँगन महकी हंसी रोशन होने लगा बुझा सा मन भर गई फिर से सूनी वो …
डॉ०भावना कुँअर बनकर दुश्मन जलाती तन बिगाड़े सब रिश्ते। बाज़ न आती आग तक लगाती न घबराती हैं सब ही पिसते। पूरे जंगल धूलतज-धू कर जे मूक रहते हर …
डॉ०भावना कुँअर ये खामोशियाँ डुबो गई मुझको दर्द से भरी गहन औ’ अँधेरी कोठरियों में। गूँजती ही रहती मेरी साँसों में प्यार-रंग में रंगी खुशबू भरी जानी पहचानी-सी बावरी …
डॉ०भावना कुँअर पहले रंगो फिर उतार फेंको भाये न मुझे छलिया-सी बहार पल का प्यार। समा के रखो तुम गहराई से मन के भीतर यूँ कि टूटे न ये …
माँ देखा मैने – बहुत कुछ देखा बेनूर लोग बेरंग ये दुनिया देखा है मैने खुद आगे जाने को कुचला उसे स्वार्थी हुआ इन्सान देखा है मैने धर्म की आँधी …
उम्र जो बढ़ी बढ़ा जोश उनका कुछ पद था कुछ पैसे का बल माता पिता की थी अपनी दुनिया लड़खड़ाती हाथों में ले के प्याले गाड़ी पैसा दे छोड़ …
नभ से पूछो बिछुड़ने का दर्द सहता है जो हर काली रात में कब से टंगा औंधा, अकेला, मौन मुद्दत हुई एक वही कहानी कोई न कोई प्यारा उसका …
बेला के फूल किसी सलोनी भोर मेरी मेज़ पे कोई रख गया था आकर देखा : सिर्फ़ चन्द फूल थे मोती–सी आब मह–मह गमक बेला–फूलों ने सहसा लुभा …
कोई नाम था हज़ारों नामों में से मुझे भा गया बचपन में मैंने केशों में गूंथा जब किशोरी हुई बड़े चाव से लॉकेट में पिरोया पहन लिया और बड़ी …
रिश्तों की रफू सूरज संग जलता मेरा दिन सितारों संग जागती मेरी रात हाथ में सुई, आस का डोरा पिरो रिश्तों को रफ़ू करने में जुटी मैं ‘पिराती’ …
मैंने लिखी थी एक कविता ‘खुशी’ तुम्हें दिखाई तुमने सरसरी निगाह डाली उचाट नज़र से यूँ–ही सा देखा तोड़–मसल कर डस्ट–बिन में उछाल कर फेंका ‘खुशी’ मरी थी …
कठपुतली बाज़ार में सजी थी ख़ुश, प्रस्तुत कि कोई ख़रीदार आए, ले जाए उसके तन–बँधे डोरे झटके हँसा, रुला उसको रिझा, नचाए मन मज़र्ी चलाए ले गया कोई …
थोड़ी–सी आस और थोड़ी उजास साथ रखना कस कर बाँधना आँचल–छोर कभी गुम न जाए याद रखना राह में घिरे रात सूझता न हो निज हाथ को हाथ …
आँगन आती बच्चों की थी लाडली चीं–चीं गौरैया घर–घर में जाती बाजरा खाती पानी पी, उड़ जाती फुर्र गौरैया फुदकती तार पे शोख़ गौरैया हर घर की शोभा …
पहली वर्षा बूँदों की चित्रकारी धूलि के रंग छिप कर बैठी है नीली चिड़िया फूलों के झुरमुट ताल पै फैले घने जल-कुंतल तैरती मीन सखियाँ लिये साथ घास चुप …
पुकारोगे जो मैं ठहर जाऊँगा तुम्हें छोड़ मैं भला कहाँ जाऊँगा तुम्हारे लिए पलक -पाँवड़े मैं बिछाता रहा गुनगुनाता रहा आज भी वहीं मैं नज़र आऊँगा दूर हो …
डॉ०भावना कुँअर सँजोती जाऊँ आँसू मन भीतर भरी मन -गागर। प्रतीक्षारत निहारती हूँ पथ सँभालूँ कैसे उमड़ता सागर। मिलन -घड़ी रोके न रुक पाए कँपकपाती सुबकियों की छड़ी। छलक …