इक्कीसवी सदी -कचरे में रोटी ढूंढते हाथ – अनु महेश्वरी ANU MAHESHWARI 04/11/2016 अज्ञात कवि 19 Comments कचरे से रोटी उठाते बच्चे को देख,मेरी आँखें शर्म से झुक गई।उसने जब मेरी ओर देखा,मैं उससे नज़रें मिला न सकी।पास की दुकान से,बिस्कुट खरीद बच्चे को दे,लौटते वक्त … [Continue Reading...]