Mrat Kaaya Ka Rodan (मृत काया का रोदन) POEM NO. 230 (Chandan Rathore) The Rathore Saab 31/10/2017 चन्दन राठौड़ 2 Comments POEM NO . 230————मृत काया का रोदन————मृत काया के लिए हुआ आज फिर करुणा मय रोदन |छोटे छोटे बच्चों की आशाओं का हुआ शोषण ||रूठ गए जग छोड़ गए … [Continue Reading...]