Tag: बिढ़म्बना
चुनौती दे कर किस्मत को मन खुद में ही मगरूर हुआ दिल और दीमाग की कश्मकश में सपनो का आइना चूर चूर हुआ खुद को सँभालने की कोशिश …
यों ही..कुछ… बात या बेबात…….(विडंबना की)!!! कई कई शाम उनके नाम हम ने,कई कई पैगाम लिखे थे, कसमे ,वादे,इज़हार किया था उम्र भर का साथ निभाने; प्यार जताने, पत्थर …
यों ही ..कुछ …बात या बेबात, ऐसे ही !! शाम हुई,दीये जले,तारे भी धीरे धीरे परवाने निकले, रोशनी के दीवाने सारे हुस्न का चढ़ता रंग,बेताबी चहरे के परे रात …