ज़ालिम — डी के निवातिया डी. के. निवातिया 07/06/2017 धर्मेन्द्र कुमार निवातियाँ 28 Comments ज़ालिम —@@@— बाँट दिया धर्म के नाम पर दुनिया को,अरे इंसानी फ़रिश्ते तेरी जात क्या है !मै तो निर्मल जर्रा हूँ माटी-ऐ-हिन्द कातू बता ज़ालिम तेरी औकात क्या है … [Continue Reading...]