ज़लवा – डी के निवातिया डी. के. निवातिया 20/09/2018 धर्मेन्द्र कुमार निवातियाँ 6 Comments ज़लवा***जरुरी नहीं दुनियाँ में सिर्फ हुस्न का ज़लवा होहमने तो कीचड़ के हिस्से में कमल को देखा हैअभद्र हो या दीन-दरिद्र कद्र हर शै: की होती हैपत्थर बुतो में … [Continue Reading...]