ज़माने की बदमाशी rakesh kumar 22/05/2018 राकेश कुमार 10 Comments ये तो नाइंसाफी है किमोहब्बत आपकी प्यासी हैआप ढूँढते हैं बाहरअपनों में छाई उदासी है |भर लीजिये बाँहों मेंकितना भी चोरी सेप्रीत वही टिकती हैजो दिल की साची है … [Continue Reading...]