ग़ज़ल (निगाहों में बसी सूरत फिर उनको क्यों तलाशे है ) Madan Mohan Saxena 03/08/2016 मदन मोहन सक्सेना 3 Comments कुछ इस तरह से हमने अपनी जिंदगी गुजारी है जीने की तमन्ना है न मौत हमको प्यारी है लाचारी का दामन आज हमने थाम रक्खा है उनसे किस तरह … [Continue Reading...]