हाँ मैं राही हूँ, इक भीड़ भरी राह का….पर इस राह पे शायद मेरी मंजिल नहीं है…न जीने की वजह, न चलना ही सजा….शायद मेरे सीने में, दिल नहीं …
॥ प्रथम पहचान ॥ पहचान का मुखौटा भले दिखाई नहीं देता मगर जिस चेहरे पे है चढ़ताउस सिर पे है राज करता बहुत खामोशी से काम करता हैअपना ही …
आँखों के समंदर में विश्वास की गहराई से बन जाते हैं रिश्तों के पुल दिलों का आवागमन जज्बातों का आदान प्रदान कराते हैं रिश्तों के पुल दायरे होते हैं …