हम ही दुष्ट हो गए – डी के निवातिया डी. के. निवातिया 22/01/2018 धर्मेन्द्र कुमार निवातियाँ 12 Comments हम ही दुष्ट हो गए *** यार तमाम अपने अब रुष्ट हो गएकरके माल हज़म हष्ट-पुष्ट हो गएहमने उन्हें ज़रा सा क्या रोका टोकानजरो में उनकी हम ही दुष्ट … [Continue Reading...]