सुसंगत — दोहे — डी. के. निवातिया डी. के. निवातिया 22/03/2017 धर्मेन्द्र कुमार निवातियाँ 18 Comments दोहेमोल तोलकर बोलिये, वचन के न हो पाँव !कोइ कथन औषधि बने, कोइ दे घने घाव !!………..(१)दोस्त ऐसा खोजिये, बुरे समय हो साथ !सुख में तो बहुरे मिले, संकट … [Continue Reading...]