सावन आया — डी के निवातिया डी. के. निवातिया 30/06/2017 धर्मेन्द्र कुमार निवातियाँ 20 Comments सावन आया *** सावन आयाबरसते बादलपपीहा बोले !! वज्र कड़केघनघोर है घटानाचे मयूर !! प्रथम वर्षाजलाशय प्रतापनहाते बाल !! बूंदे गिरतीपुलकित रमनाचहके खग !! बहे फुहारलहलाती फसलेझूमे कृषक !! … [Continue Reading...]