सर काटते रहे — डी के निवातिया डी. के. निवातिया 02/05/2017 धर्मेन्द्र कुमार निवातियाँ 24 Comments वो हमारे सर काटते रहेहम उन्हें बस डांटते रहे !! वो पत्थरो से मारते रहेहम उन्हें रेवड़ी बाटते रहे !! लालो की जान जाती रहीहम खुद को ही ठाटते … [Continue Reading...]