समर्पण…Raquim Ali raquimali 09/06/2017 अज्ञात कवि 11 Comments समर्पण1.शादीशुदा के लिए:उठने लगे तेरी क़लम जब एक नग़मा या खत लिखने के लिएसोच लो यह निस्बत-ए-माशूका है, या अहल-ए-खाना के लिए।हो कलाम किसी और पर, तो तोड़ देना … [Continue Reading...]