सताने लगे है – डी के निवातिया डी. के. निवातिया 19/11/2018 धर्मेन्द्र कुमार निवातियाँ 4 Comments सताने लगे है *** जब से हम काँटों को, गले से लगाने लगे हैलोग फूलों की चुभन से, हमे सताने लगे है ! दर्द से रिश्ता कुछ जब ख़ास-म-खास … [Continue Reading...]