मुक्तक ः उत्कर्ष नवीन श्रोत्रिय "उत्कर्ष" 07/08/2016 अज्ञात कवि 8 Comments विधा : मुक्तक मापनी : 1222×4 चला चल चाँद के पीछे दिलो में प्रीत फिर होगी । निशा आई उजाले भर अमन की जीत फिर होगी । जमाना क्या … [Continue Reading...]