व्याकुल इंसान – – – डी के निवातिया
व्याकुल इंसान दरखत झूमे, सरोवर तीर,निर्झर निर्झर बहे बयारपर्ण:समूह के स्पंदन से,सरगम की निकले तानशीतल प्रतिच्छाया में,पंछी समूह करते विहारमानुष त्रस्त अविचल,अंत:करण धरे कष्ट अपारवट वृक्ष शीतलता पाने …